स्वार्थ छोड़ परार्थ हित जीना उचित है, जतन है शुभ लोकहित जिसमें निहित है। स्वार्थ छोड़ परार्थ हित जीना उचित है, जतन है शुभ लोकहित जिसमें निहित है।
अभी समय है संंभल जा तू नादान, मत अंंधे बन छूता जा आसमान । अभी समय है संंभल जा तू नादान, मत अंंधे बन छूता जा आसमान ।
आओ प्यारे साथ हमारे जनसेवा हित साँझ सकारे। आओ प्यारे साथ हमारे जनसेवा हित साँझ सकारे।
अपना घर चलेगा, अपनी कमाई से राजनीति जिसे चलानी, उसे चलाने दो अपना घर चलेगा, अपनी कमाई से राजनीति जिसे चलानी, उसे चलाने दो
कौन है वह ? कोई जीव है शायद..! कोई विचित्र जीव ! कौन है वह ? कोई जीव है शायद..! कोई विचित्र जीव !