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Sonam Kewat

Abstract

3  

Sonam Kewat

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जिम्मेदारी और वफादारी

जिम्मेदारी और वफादारी

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आखिर क्यों कहते हो लोगों से कि,

मां बाप का प्यार तुम्हारी मजबूरी है।

याद रखो इश्क किया है तुमने अगर,

तो उसे निभाना भी जरूरी है।


मां-बाप तुम्हारे लिए जिम्मेदारी है,

तो ईश्क भी एक वफादारी हैं।

मां-बाप के साथ इश्क को संभालो,

ये भी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।


ईश्क का धागा मजबूत है तो,

फिर तुम कमजोर क्यों होते हो ?

उसे भी रुलाते हो जुदाई के गम में,

और रातों में खुद छुप कर रोते हो।


अच्छा होगा कि मां-बाप को मनाकर,

तुम उसका भी हाथ पकड़ लो।

माना थोड़े दिन गुस्सा हुए भी तो,

समझदारी से तो उन्हें भी समझ लो।


इश्क की ताकत जो झुका दे सबको,

उनकी सेवा में कोई कमी ना छोड़ना।

वो खुद तुम्हारे इश्क को अपनाएंगे,

तुम दोनों भी ये सब देखते रहना।


आखिरकार मां-बाप ने जन्म दिया है,

तो इश्क ने तुम्हें जिंदगी दी है।

दोनों का साथ निभा सको तुम अगर,

तो सही मायने में जिंदगी यही है।


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