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Ayusmati Sharma

Abstract

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Ayusmati Sharma

Abstract

क्या तू मुझसे इतना नाराज़ है

क्या तू मुझसे इतना नाराज़ है

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में न जानू तेरे रूठ जाने से,

ये ज़िन्दगी कैसे जंग में बदल गई।

कुछ पल की वो बातें,

पता नहीं कैसे दोस्ती में बदल गई।


तेरे यूं रूठ जाने से अच्छा नहीं लगता,

अब छोड़ भी दो ये रुसवाई।

ए मेरे दोस्त तू ही तो मेरे जीवन की सरताज है,

क्या तू मुझसे इतना नाराज़ है।


न रूठो हमसे हम यूं ही मर जाएंगे,

फिर तुझे मनाने कभी ना आएंगे।

प्यार किया तुझसे कोई मज़ाक नहीं,

ऐसे क्यों रूठा मुझसे मैने किया कोई गुनाह नहीं।


कभी दूर मत जाना मुझसे,

मुझे बुलाना नहीं आता,

तुम भूल जाओ हमें, तुम्हारी मर्जी,

मगर हमें भूलना नहीं आता।


ए मेरे दोस्त तू ही तो मेरे जीवन की सरताज है,

क्या तू मुझसे इतना नाराज़ है।


इस झूठी दुनिया में तू ही तो एक सच्चा है,

तेरे बिना कुछ भी नहीं लगता अच्छा है।

नाराज़ है तू मुझसे या मेरी यारी से,

इस कमबख्त दिल को तो समझ नहीं आता है।


तेरे बिना तो पूरी ज़िन्दगी को धिक्कार है,

हम तो यूं ही तेरे बिना बेवजह बेकार है।

ए मेरे दोस्त तू ही तो मेरे जीवन की सरताज है

क्या तू मुझसे इतना नाराज़ है

क्या तू मुझसे इतना नाराज़ है।


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