वेन पेंसिल मेट इरेज़र
वेन पेंसिल मेट इरेज़र
मिले थे जब ये पहली बार तो,
थे एक-दूसरे से अंजान,
लेकिन कहाँ जानते थे ये,
कि बनने वाले थे एक-दूसरे की जान।
एक तरफ़ थी पेंसिल हमारी,
ऊँची ये लड़की जवान,
और रबड़ भैया हमारे,
मिटा देते गलतियाँ सबकी,
रखते थे ये सबका कितन ध्यान।
अकड़ भरी थी पेंसिल में,
कर दिया था इसने प्यारे रबड़ को भी तंग,
होता झगड़ा इनके मध्य इतना,
फिर कैसे रहते ये दोनो संग।
लेकिन थी पेंसिल तो, छोटी-सी लड़की,
अनेक गलतियाँ करती थी वो,
नहीं थी वो सक्षम इतनी,
कि मिटा सके वो उन गलतियों को।
रबड़ ने की बहुत कोशिश,
कि पेंसिल की मदद कर सके वो;
लेकिन यदि आ रही थी
पेंसिल की अकड़ बीच में,
तो क्या कर पाता बिचारा वो।
हार माननी पड़ी आखिर
पेंसिल की अकड़ को,
क्योंकि कोशिश करनेवालों
की हार होती नहीं,
अब ढूँढ़ो यदि ढूँढ़ पाओ तो,
रबड़ और पेंसिल जैसी घनिष्ट मित्रता कही।
सोच रहे होंगे आप सब ये,
कि आखिर किसने लाया
इन दोनों को पास,
तो जवाब है समय,
जिसके चमत्कार
होते ही है कुछ ख़ास।
आज यदि देखे तो,
सच्ची दोस्ती के स्वामी है ये,
एक यदि गलती करे तो,
दूसरा उसे मिटाने के लिए तैयार रहे,
अपने दोस्त की गलतियाँ मिटाने के लिए,
जाने देने के लिए भी हाज़िर रहे।
