मिली तुमसे निगाहें तो...
मिली तुमसे निगाहें तो...
मिली तुमसे निगाहें तो, मेरा चेहरा नजर आता।
तू जब भी पास आए तो, हजारों फूल महकते हैं।
तू आकर दूर जाए तो, खिला गुलशन उजड़ जाता।
मिली तुमसे निगाहें तो, मेरा चेहरा नजर आता।।
तुम एक दिन मेरे सामने, घंटों तक बैठे रहे।
तुम हमको देखते एकटक, मैं बेबस देख ना पाता।
मिली तुमसे निगाहें तो, मेरा चेहरा नजर आता।।
आंखों के ही इशारों से, बातें मेरी चलती रही।
तुम बोलना चाहे मगर, मैं तुमसे कुछ न कह पाता।
मिली तुमसे निगाहें तो, मेरा चेहरा नजर आता।।
जो तुझसे दूर जाऊं तो, रहूं कैसे बताऊं मैं।
बेबस दिल की तड़पन को, तुझे कैसे सुनाऊं मै?
जल से निकाले जाने पर, मछली जैसे तड़पती है।
मै वैसे ही तड़पता हूं, जो तुझसे दूर हो जाता।
मिली तुमसे निगाहें तो, मेरा चेहरा नजर आता।।
तेरी रौनक है इतनी कि, ये चंदा तुझसे जलता है।
देखा जो चमक तेरी, ये सूरज शर्म करता है ।
जो तू बाहर निकल आए, तो बादल में ये छिप जाता।
मिली तुमसे निगाहें तो, मेरा चेहरा नजर आता।।