कॉलेज के सुनहरे दिन
कॉलेज के सुनहरे दिन
पी. एम. टी. का आसमान छूकर जब हम मेडिकल कॉलेज में जाते हैं,
गेट पे बॉस मिलते हैं, कहते हैं "आओ पंछी अब हम तुम्हें उड़ाते हैं !
सीनियर्स को देखकर हम 90 डिग्री पे झुक जाते हैं,
हम उनके सेवक और वो जहांपना कहलाते हैं !
कुछ ने उनसे कई बार मार भी खाई,
हम बच गये पर ट्रेन तो हमने भी बनाई !
हनीमून सेमेस्टर पता नहीं कैसे बीत गया,
छह महीने जिनके हाथ में पत्ते थे,
उन्हें पता है कौन हारा कौन जीत गया !
कई लोग जल्दी उठते थे, नहा धोकर कॉलेज जाते थे,
हम बड़े आलसी थे,
हफ्ते बाद नहाते,प हला पीरियड तो कभी ही जा पाते थे !
कुछ लोग हर रोज़ गर्ल्स होस्टल जाते थे,
आते समय कोई रोमांटिक गीत गुनगुनाते थे !
जब हम पूछते, "किससे मिलके आ रहे हो भाई",
उनका जवाब "बहन से मिलकर आ रहा हूँ",
ये बात हमें कभी समझ में नहीं आई !
गप्पें मारने का दौर जब शुरू होता था,
सुबह तीन-चार बजे तक कोई नहीं सोता था !
जब कॉलेज में खेल आयोजन चार पाँच दिन चलता था,
पूरा दिन मस्ती होती, दिल बाग बाग हुआ करता था !
और जब एग्ज़ॅम्स के दिन आते थे,
दिमाग़ में टैन्शन के बादल छा जाते थे !
फाइनल एग्ज़ॅम्स में हालत बहुत ख़स्ता होती थी,
ना बातों में मन लगता ना मस्ती होती थी !
पढ़ाई पे जब नहीं चलता था दिमाग़ का ज़ोर,
रूम में ताला लगाकर हम चल पड़ते थे सिनेमा घर की ओर !
भुलाए नहीं भूलतीं वो यादें वो पल छिन्न,
कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन !