सखी
सखी
अदाएं तेरी अतरंगी हैं,
तू सखी मेरी, सतरंगी है,
तेरी सभी अदाओं को देखा है,
रंगों को तेरे सभी, मैंने जिया है |
रूप तेरा कातिल है,
मन तेरा निर्मल,
इरादों की तू पक्की है,
वादों पर अपने सच्ची है,
तेरी मोह्हबत का रंग भी देखा मैंने,
इबादतों को भी तो तेरे साथ मिलकर जिया है |
तेरे सभी रंगों का पूरक
सातवां रंग तेरा - " मेरी सखी का "
उसे भी तो मैंने साथ तेरे
तुझसे भी कहीं ज्यादा जिया है |
देख ली दुनिया सारी, पर
तुझसा कोई दूजा, कहाँ मैंने पाया है ||