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Vivek Agarwal

Tragedy

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Vivek Agarwal

Tragedy

एलियन

एलियन

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परमाणु शस्त्रों के ज्वालामुखी पर

बैठा ये विश्व

न जाने किस दिन एक बड़े विस्फोट में

समाप्त हो जाए

इस वर्चस्व की लड़ाई में

न जाने किस दिन मानवता

लुप्त हो जाये


विश्व तो मैं नहीं बदल सकता

पर क्या कर सकता हूँ

कहीं कोई नव-निर्माण

जहाँ इस सुन्दर धरती के

कुछ अवशेष संजो सकूँ


क्या दूर कोई गृह है

जहाँ मनु की तरह

मैं ले जा सकूँ एक नाव

कुछ बीज संजों कर

कहीं पुनः वटवृक्ष निर्माण को


भौतिक नवनिर्माण तो संभव है

विज्ञान की शक्ति से

पर किसी दूसरे गृह पर

हमारी पहचान क्या होगी

क्या हम नहीं होंगे एक एलियन


पर मनुष्य स्वभाव तो यही रहेगा

हम पुनः निर्मित करेंगे

निज विनाश के साधन

एक और गृह नष्ट करने के लिए

और चलेगा यही क्रम अनवरत


क्या ये पृथ्वी सच में हमारी है

अपना आचरण देख तो नहीं लगता

कहीं ऐसा तो नहीं

की हम कहीं और से आये थे वो गृह नष्ट कर

और हम हैं यहाँ पर

मात्र एक एलियन।


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