सर्द कायनात
सर्द कायनात
सर्द कायनातें
छोटी छोटी बातों में
न जाने क्यूँ होती है वारदातें
होती है ये जिन्दगी में अचानक
मन भी हो जाते हैं सर्द कायनातें ।
समय जाने के बाद
करते है फिर उसकी याद,
गढ़ते है बरबस वाकयात
जिन्दगी खत्म होने के बाद।
वो जो अनजाने से पल
तन्हाइयों सें संभल संभल
ढल जाते वो आजकल
रंग अपने बदल बदल।
वही है डगर, वही है सफ़र
नहीं है साथ राह की डगर
टूटे सारे सपनों के वो महल
वो सपने वो दिन गये किधर।।