नगमे मोहब्बत के"
नगमे मोहब्बत के"
सदा बहारें बिखरने की बात हम जान गए हैं
महकना इन सारे फूलों सें से हम जान गए हैं,
खुशबू को बेबाक किसी ने हवा में फेंक दिया था
समेटना आंचल में फिज़ा से हम जान गए हैं
हुनर पाक इश्क के हाथों में छिपा था बेशक मगर
हिफाजत से भरना आंचल में हम जान गए हैं
भंवरो ने कुछ साजिशें कर रखी थी आशिक मिजाज
चुपके से फूलों पर मंडराना हम जान गए हैं
रंग बैरंग बैराग बदन पर जंच रहा था लेकिन
भरने रंग-ए-नूर चेहरों पर हम जान गए हैं
इरादा हमेशा अल्लाह की इबादतका था मगर
नगमे मोहब्बत के गुनगुनाना हम जान गए हैं।