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Meenakshi Kilawat

Inspirational

4.0  

Meenakshi Kilawat

Inspirational

सृजन बन जाइए...

सृजन बन जाइए...

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मन से मन को मीत बनाकर

नारी से नारी को दे सृजन सहारा 

फिर कैसे आँसू मचले नैनों में

ना आंचल भिगे ना कोई बेसहारा..


कोई हादसा अगर हो भी जाए

हर वक्त देना न तुम खुद को दोष

करके अपने बहन बेटी का संरक्षण 

जख़्मी घावों का बन जाओ मरहम...


पढ लिख कर आगे बढ़ना बहनों

गगन में भर लो अब के उँची उड़ान 

रोक ना सके हमे अब कोई दीवार

सीमा के पार होगा हमारा सम्मान..


है सखियों को अपना बनाने की घड़ी

मिलकर गान कर हम मस्त जिए

सृजन को भी खुशी आती है

वही 

जब दूसरों के दर्द को अंजुलि भर पिये..


खोजने से मिल जाते कई इलाज  

नजारों में रंग है बहारों के हजार

बीत गई सदियाँ आए थे तूफान

अब बहनों अपने आपको तू सँवार..


बहुत बहाए अब तक आँसू    

छोड़ो भी यह एकांत का घोर अंधेरा

यह उदासी भरी मनहूसी घुटन छोड़

दमखम से जूटो लाने यह उजियारा...


भीतर से द्वार बंद रहा तो 

बंद दरवाज़े से किरण कैसी आए 

इसे हल्के से खोलकर रखे और

रोशनी के साथ हँस -हँसकर बोलिए...



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