अनकहे अल्फ़ाज़
अनकहे अल्फ़ाज़
हल्के हल्के में लिया जिसे,
उसके जाने से सब भारी भारी लगता है।
चैन की नींद भी ले गया अपने साथ,
रातों को दिल कितनी बारी जगता है।
थोड़ी गलतियां मेरी तरफ से हुईं,
थोड़ी गलतियां पर हक उसका भी बनता है।
गलतियों से कोई बुरा नहीं बन जाता है,
यार, इतना तो चलता है।
हर शाम मैं आसमान की ओर ताकता हूं,
जहां पर सूरज ढलता है।
जवाब आने में देर लग जाती है,
सवाल वहीं का वहीं धरा रहता है।
तुम्हारा कुछ ना कहना भी,
मुझसे कितना कुछ कहता है।
एक तुम्हारे जाने के बाद,
हाल अब पहले जैसा नहीं रहता है।
हमारी खुशियों को जैसे नज़र लग गई,
हर कोई अब बस यही कहता है !