प्रथमा (रंग नारंगी)
प्रथमा (रंग नारंगी)
जगदम्बा हे माँ सुख करणी,
प्रेम सलिला दानव दलनी।
नौ दिन नौ रंगो से स्वागत,
पुनीत हृदय से तुमको ध्यावत ।।
रंग नारंगी ज्ञान बढ़ाये,
ऊर्जावान चमक बिखराये।
अग्नि सम फैलाये उजाला,
प्रथम दिवस करती उजियारा ।।
घर मंदिर दुल्हन सा सजाओ,
रंग केसरिया फूल चढ़ाओ।
आम्र पात लगे, घर के द्वारे,
जय माता दी कहते सारे ।।
श्वेत वर्ण शैलपुत्री भवानी,
हिमावत सुता, वृषभ सवारनि।
भाग्य समृद्धि की प्रददाता,
तुम सम पुनीत पार्वती माता ।।
साधक तेरा ध्यान जो धरते,
मूलाधार चक्र जागृत करते।
प्रथम सिद्धि तब ही मिल पाती,
माँ वृषरूढ़ा जब, कृपा बरसाती ।।
धर्म अर्थ और मोक्ष प्रतिका,
त्रिशूल हाथ में, धरे हिमसुता।
द्वितीय हाथ सोहे माँ पंकज,
वन जीवों की तुम ही रक्षक ।।
प्रकृति मात जागरण तेरा,
चंद्र नियंत्रक गति गुण तेरा,
दे आशीष हे वृषरूढ़ा,
सत सत नमन प्रथमा नवदुर्गा ।।
नव रात्रि हुई शुरू, गूंजे मंगल गान ।
दसो दिशा माँ की भक्ति, और माँ का गुणगान॥
