सँवार लो
सँवार लो
सवांर लो जरा
माँ तुम भी श्रृंगार करो
धूल धूसरित उलझी लट
संवार रेशम सा लहरा लो
आँचल के पैबंद हटा लो
फूलों सी कोमल साडी़
आज पहनों तो जरा
दिल तो मेरा घायल है
नन्ही सी तेरी चाहत है
थाम के उंगली चलो
रंग बिरंगे गुब्बारे ले दो
इतनी ऊँची हो ऊड़ान
खुशियों के तराने
हम भी सुनेगे
माँ तुम भी श्रृंगार करो।