शीर्षक:अब बदलाव जरूरी हैं
शीर्षक:अब बदलाव जरूरी हैं
उठ चल अपनी मंजिल
को पहचान और चल निरंतर
उम्मीद का दामन थामे रख
अभी लड़ाई बाकी हैं हिंदी को
पहचान दिलाना बाकी हैं
अब बदलाव जरूरी हैं….
तू उठ ओर कर अपनी मातृभाषा
पर जी जान से काम
साथ तेरे कोई नहीं परवाह क्या
तू अकेला ही काफ़ी हैं पहचान दिलाने को
अभी तू हारा नहीं अभी तू रुकना नहीं
अब बदलाव जरूरी हैं…..
मंजिल भी ख़ुद आएगी चल कर पास
अभी सफ़र बाकी हैं हिंदी की पहचान
अभी तो बाकी है
कोई और क्यूँ लिखे कहानी तेरी मेरी
तो कलम में स्याही बाकी हैं बस तू
अब बदलाव जरूरी हैं…..
उठ चल अपनी मंजिल
एक दिन ये उत्तराखंड ही क्या
जानेगा हिंदी जगत तुझे सारा
तू चल अभी बहुत लिखना बाकी है
तू कोशिशें करते चल हिंदी की पहचान
अब बदलाव जरूरी हैं….
बनता चल बस लिखता चल
वो समय भी आएगा जब तू बनेगा
हिंदी की शान पहचान पूरे हिन्दुतान में
मत थक तू ख़ुद की पहचान बना
हिंदी की शान में लिख नित नया नया
अब बदलाव जरूरी हैं…..
अभी तू रुक मत अभी तो समय तेरा आया है
बस तू चल उठ और लिख मातृभाषा को
नित नए रूप में अपने शब्द मोतियों से
बना मातृभाषा का हार
हे मातृभाषा तुझे तेरा ये पुत्र करेगा
अब बदलाव जरूरी है….
तुझे सदा ही अपने शब्दों से निहाल
यही है तेरे पुत्र पुत्री का कमाल
ये हैं माँ भारती का सच्चा लाल
माँ भारती के चरणों में प्रणाम
तेरी ये पुत्री का है हाल बेहाल
अब बदलाव जरूरी है….