घायल चाणक्य
घायल चाणक्य
हे शिक्षक!
आप देह नहीं
शब्द हो, विचार हो
छात्र के व्यक्तित्व में सगुण साकार हो।
धन्यवाद शिक्षक!
कुछ विशेष जीवन कौशल
जो सीखे आपसे
हार को हराना
दुःख में मुस्कुराना
दीपक बन जाना
स्वयं जलकर दूसरों को राह दिखाना।
आप प्रतियोगिता के नहीं
सहयोग के पक्षकार हो
दंड के नहीं
प्रेरणा के पैरोकार हो।
विषय तो सब पढ़ा सकते हैं
किंतु विषय का विशेष आपने पढ़ाया
जीवन का सत्य शेष
राष्ट्र और देश
आपने पढ़ाया।
हे परमार्थी!
हे सत्यार्थी!
छात्र को गंतव्य तक पहुंचाने में
निष्काम भाव से स्वयं मार्ग बन जाने में
आपका कई बार उपयोग हुआ।
उपयोग हुआ, उपभोग हुआ
नाम मात्र के वेतन में
घर की तंगी में
वैश्वीकरण की खींच तान में
महंगाई और मंदी में
चेहरा आपका कभी उदास ना हुआ।
दुख, अभाव, दारिद्र्य, अपमान और शोषण के बाण
अपनी पीठ पर सहने वाले हे चाणक्य!
आपने कई चंद्रगुप्तों को सम्राट बना दिया।
जानता हूं भीतर से बहुत घुटे हो
निजी विद्यालयों में
रक्त पिपासु तंत्र में
अस्मिता से मिटे हो
फिर भी
व्यक्तिगत कष्ट आपके व्यक्तित्व से लड़ा है
किंतु इससे आपके अध्यापन में कोई विघ्न नहीं पड़ा है।
विचारणीय है
एक शिक्षक
हजारों को पालन पोषण योग्य बना सकता है
किंतु हजारों मिलकर बुढ़ापे में
उस एक का पालन नहीं कर सकते।
हा दुर्भाग्य! हा धिक!
ओ समाज! ओ व्यवस्था!
ओ छात्रों!
अपने उस ज्ञान जनक को कंधों पर उठा लो
समय आ गया है
कहीं प्रतिकूलता में पिसकर
वह दम ना तोड़ दे
उस पर बुढ़ापा आ गया है।
इस महापाप का बोझ
अपनी आत्मा पर ना लेना
अन्यथा शांति से मर भी ना सकोगे
सोच लेना।
एक कोष बने, व्यवस्था हो
हजारों सफल छात्र अंशदान दें
अपने उन वयोवृद्ध शिक्षकों को
अपना श्रमदान दें।
ताकि कोई शिक्षक
साठ की उम्र में
पेट पालने हेतु
काम धंधे को मजबूर ना हो
कोई छात्र अपने शिक्षक से दूर ना हो।
शिक्षक दिवस पर
सिर्फ धन्यवाद से काम कौन चलाएगा
छात्र वही है
जो उनके प्रति अपने कर्तव्य निभाएगा
गुरु दक्षिणा ना सही तो उनका मान ही बचा लें।
आओ शिक्षकों के सम्मान में नया अभियान चला दें।
#ThankyouTeacher
शिक्षक दिवस
धन्यवाद शिक्षक