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Shakti Srivastava

Abstract

4.2  

Shakti Srivastava

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संघर्ष

संघर्ष

1 min
422


ये शाम भी ढल जायेगी, ये रात भी कट जायेगी

पूरे होंगे सपने सारे, वो सुबह भी इक दिन आयेगी।


मुश्किलों का ये वक़्त है, माना कि तू बेबस है

पर तुझे लड़ना होगा, जीवन तो इक संघर्ष है।

डर मत इन मुश्किलों से, मेहनत बेकार ना जायेगी

ये शाम भी ढल जायेगी, ये रात भी कट जायेगी

पूरे होंगे सपने सारे, वो सुबह भी इक दिन आयेगी।


ये जीवन इक कस्ती है, लहरों को भी समझना है

तूफानों से भी लड़ना है, मंजिल को भी जाना है

तू बस डटा रह, पतवार संभाल, कस्ती भी पार हो जाएगी

ये शाम भी ढल जायेगी, ये रात भी कट जायेगी

पूरे होंगे सपने सारे, वो सुबह भी इक दिन आयेगी।


जो अब तक ना कुछ हासिल हुआ, क्यों परवाह करता है

करता रह बस कोशिश तू, हसने दे जो हंसता है 

ये सपने भी तो तेरे है, तुझे ही पूरा करना है

इनके लिए कोई और नहीं, तू ही जीता है, तू ही मरता है


जिस दिन सफलता पाएगा, हंसी तालियों में बदल जायेगी

ये शाम भी ढल जायेगी, ये रात भी कट जायेगी

पूरे होंगे सपने सारे, वो सुबह भी इक दिन आयेगी।

वो सुबह भी इक दिन आयेगी।

वो सुबह भी इक दिन आयेगी।


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