ना जाने दिल क्या चाहता है !
ना जाने दिल क्या चाहता है !
ना जाने अब दिल क्या चाहता है
जब से दूर हुआ है तुमसे, कुछ बदला बदला सा रहता है
कभी तो बहुत हंसता है, तो कभी गुमसुम सा रहता है
तू बस खुश रहे, अब यही दुआ मांगता है
इसके अलावा ना जाने दिल अब क्या चाहता है।
ना कुछ करने को मन करता है, ना खाली रह पाता है
कुछ और ना सूझे इस दिल को, बस यादों में तेरी खो जाता है
जब भी देखे सपने तेरे, इक मुस्कान सी आ जाती है चेहरे पे
औरों का तो पता नहीं, ये ऐसे ही वक़्त बिताता है
अब तो ना जानू मै आखिर दिल क्या चाहता है।
ये कुछ जिम्मेदारी है, जो है निभानी अब मुझको
अपनों के चेहरे पे, सच्ची मुस्कान लानी है मुझको
संघर्ष चाहे कितना हो, बलिदान से अपनी यारी है
तुमको मुझपे गर्व हो, ऐसी पहचान बनानी है मुझको
इससे ज्यादा तो अब ना दिल कुछ करना चाहता है
सच में यारों पता नहीं अब दिल मेरा क्या चाहता है
ना जाने अब दिल क्या चाहता है!