"उसका फैसला, मेरा समर्पण"
"उसका फैसला, मेरा समर्पण"
वो कहती हैं कि उसे अकेले रहना पसंद हैं, मैं कहता हूँ कि हम अकेले ही रह लेंगे
वो कहती है कि वो कभी कभी बेवजह रो देती है, मैं कहता हूँ कि मैं रोने कि वजह दूंगा भी नहीं, और आंसू भी पोंछ दूंगा,
वो कहती हैं कि उसे बेपरवाह होना पसंद हैं, मैं कहता हूँ कि हम दोनों के हिस्से कि परवाह मैं कर लूंगा
वो कहती हैं कि तुम मेरे लिए क्या क्या कर सकते हो मैं कहता हूँ कि, तुम रूठो मैं मना लूंगा, तुम दुखी होंगी तो हंसा दूंगा, तुम्हें जब भी दुनिया बेकार लगने लगेगी, तो इसकी खूबसूरती का एहसास करा दूंगा
वो कहती हैं तुम मेरे लिए क्या नहीं कर सकते, मै कहता हूँ कि मै तुम्हारे लिए सारी दुनिया से लड़ सकता हु, पर तुम्हे अपना बनाने के लिए मै तुमसे नहीं लड़ सकता|
ये निर्णय बस तुम्हारा होगा
