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Shakti Srivastava

Others

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अधूरी चाहतें!

अधूरी चाहतें!

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जो खुद को कभी मेरी नजरों से देख पाते

तो ये ना पूछते कि मैं क्या चाहता हूं

मेरे साथ कभी तुम, जो कुछ पल बिताते

जो मेरे साथ तुम, कभी हंसते और गाते

तो ये ना पूछते कि मैं क्या चाहता हूं


कभी कुछ दूर तुम, जो मेरे साथ चलते

यू हमसे तुम जो, किस्तों मे ना मिलते

कभी मेरे दिल को तुमने, समझा जो होता

कभी मेरा सर अपने कंधे पे रखने जो देते

तो ये ना पूछते कि मैं क्या चाहता हूं


जो पूछती तुम तो मैं एक एक किस्सा बताता

जो कहती तो मैं चाँद तारे भी तोड़ लाता

मेरी भीगी सी आँखें तुमने देखी थी जब

मेरे आंसू को पानी जो तुमने समझा ना होता

तो आज ये ना पूछते कि मैं क्या चाहता हूं


जो दिखावे कि पट्टी, तुम्हारी आँखों पे ना होती

जो तुम इस दुनिया के बहकावे मे ना आते

जो सागर कि लहरों को जरा तुम समझते

जो डर के किनारों से तुम ना दूर जाते

तो मिलता किसी रोज मैं तुमको वही पे

उस रोज तुम मुझको थोड़ा सा जो सुन पाते

तो ये ना पूछते कि मैं क्या चाहता हूं

मैं क्या चाहता हूं 

                      


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