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Shakti Srivastava

Others

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Shakti Srivastava

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अब बस उठ खड़ा होना है.......

अब बस उठ खड़ा होना है.......

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ए मुसाफिर तू ना कर कोई उम्मीद किसी से

तुझे फिर से उठ खड़ा होना है।


तू गिर, रुक फिर संभल, संभलते गिर

पर कर ले ये दृढ़ निश्चय की फिर से उठ खड़ा होना है।


सुन, समझ, समझ के सुन, किस्से दूसरों के

पर तेरा किस्सा कहे कोई, ऐसा काम करने को तुझे उठ खड़ा होना है।


इक तू ही नहीं, बेबस यहां और भी है

सपनो के मारे, जिंदगी से हारे यहां और भी है

तू बने सबकी प्रेरणा, ऐसा कुछ करने को तुझे उठ खड़ा होना है।


तू जीता ही कब था, जो हार से डरता है

अरे है ही क्या खोने को, जो खोने से डरता है

तू बस कस कमर, बांध कफ़न सिर पे, कोशिश कर पल पल, हर पल

तुझे जग जीतने को फिर से उठ खड़ा होना है।


मत सोच कहेगा क्या जमाना तेरी सोच को

ना समझ सका तो बदनाम करेगा तेरी सोच को

तुझे बदनाम से नाम तक के सफर को तय करने को, फिर से उठ खड़ा होना है।


है नहीं कमी काबिलियत की तुझमें, फिर क्यों डरता है मेहनत करने से

इक बार कोशिश तो कर, ना रोक सकेगा कोई आगे बढ़ने से

तुझे अपना दौर लाने को, इक नया इतिहास बनाने को, फिर से उठ खड़ा होना है।


तुझे फिर से उठ खड़ा होना है।

अब बस, उठ खड़ा होना है।


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