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भावना कुकरेती

Abstract Drama Tragedy

4.8  

भावना कुकरेती

Abstract Drama Tragedy

शून्य में चीखें

शून्य में चीखें

1 min
267


अदृश्य सी

शून्य में तैरती हुई

बेरंग दीवारों से अटके

चरमराते दरवाजे और अंधेरे कोनो में


रखे चिटके बर्तन

बक्से में रखे धुसे हुए कपड़े

पीले पन्नो की किताबें

सूखी स्याही ..

और भी न जाने क्या क्या।


ये सब गवाही

दे रहे हैं अकेलेपन की

मगर सुना और देखा तब गया है

जब दुखों में डूब कर लौटा है मन

वैसे ही शून्य हो कर।


मैंने पाया

शून्य में निकली चीखें

कभी भी

बाहर नहीं सुनाई देतीं

कभी भी नहीं।


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