UMA PATIL
Drama Romance
न मैं रोयी
न मैं खोयी
मैं ढल गयी
ढलते सूरज के साथ
फिर कभी नहीं
जगमगायी...
तेरे जाने बाद...
नज़ाकत
प्यार
नववर्ष
याद
नशीली
पहचान
साजन
चाहत
तुम्हारा चेहर...
धड़कन
कहाँ आ गये हम ? इधर मैं हूँ, उधर तुम हो, जीवन के वो सारे पल आज गुमनाम हो गये। कहाँ आ गये हम ? इधर मैं हूँ, उधर तुम हो, जीवन के वो सारे पल आज गुमनाम हो...
अपने देश को होने से बीमार पर आज मेरा भारत बीमार है। अपने देश को होने से बीमार पर आज मेरा भारत बीमार है।
समा लो मुझ को बांहों में तुम्हारी, दूर रहकर तुम मुझे तड़पती हो, समा लो मुझ को बांहों में तुम्हारी, दूर रहकर तुम मुझे तड़पती हो,
जीत का तिरंगा उसका हमेशा लहराएगा, हिंदुस्ता मेरा अपराजित कहलाएगा। जीत का तिरंगा उसका हमेशा लहराएगा, हिंदुस्ता मेरा अपराजित कहलाएगा।
तिलक लगा कर खिला मिठाई, हर लेती सब उनकी कठिनाई, तिलक लगा कर खिला मिठाई, हर लेती सब उनकी कठिनाई,
पवित्रता की वही छाप परम्पराओं के रूप में महोत्सव पर छपी है। पवित्रता की वही छाप परम्पराओं के रूप में महोत्सव पर छपी है।
न रात न दिन की परवाह थी थी तो बस तुम्हारी ही बात थी न रात न दिन की परवाह थी थी तो बस तुम्हारी ही बात थी
माया ममता मोह में, मिला नहीं कुछ लाभ। अन्त काल में दुख हुआ, विवश हुए अमिताभ।। माया ममता मोह में, मिला नहीं कुछ लाभ। अन्त काल में दुख हुआ, विवश हुए अमिताभ।।
मधुर संगीत मैं सुन रहा हूँ , एक दूसरे को मिलते देख रहा हूँ , मधुर संगीत मैं सुन रहा हूँ , एक दूसरे को मिलते देख रहा हूँ ,
देखती रहती हूँ खुशियों को खिलते हुए अजनबी चेहरों पर, देखती रहती हूँ खुशियों को खिलते हुए अजनबी चेहरों पर,
वोट से पहले सुनिश्चित करें कौन उम्मीदवार कितने पानी में। वोट से पहले सुनिश्चित करें कौन उम्मीदवार कितने पानी में।
सच कहत हो चाचा तुमही, लागत है ई चुनावी मौसम वाली बीमारी है ! सच कहत हो चाचा तुमही, लागत है ई चुनावी मौसम वाली बीमारी है !
तुम्हारे यादों का स्पर्श पुलकित करता है मुझे मेरे एकांत का साथी भी है सारथी भी....! तुम्हारे यादों का स्पर्श पुलकित करता है मुझे मेरे एकांत का साथी भी है स...
हम डूब रहे पर जिंदा हैं इस ठंडा पवन में जलने से। हम डूब रहे पर जिंदा हैं इस ठंडा पवन में जलने से।
समय के साथ बदला फिल्मों का रूप रंग समय के साथ बदला फिल्मों का रूप रंग
जिंदगी हकीकत है फिल्म नहीं.. यहाँ पल-पल किरदार बदलता है ! जिंदगी हकीकत है फिल्म नहीं.. यहाँ पल-पल किरदार बदलता है !
चलती है तो जान हमारी जाती है... मौसम है बारीश का और याद तुम्हारी आती है.. चलती है तो जान हमारी जाती है... मौसम है बारीश का और याद तुम्हारी आती है..
मौत का भी भय हट जाता है,अंदर से जो भी अँधेरा मिटाता है,मन मंदिर से। मौत का भी भय हट जाता है,अंदर से जो भी अँधेरा मिटाता है,मन मंदिर से।
तो मायूसी को वक़्त की करवट मात्र समझ , उस से रुखसत ले ली तो मायूसी को वक़्त की करवट मात्र समझ , उस से रुखसत ले ली
शायद हम कुछ शब्द जोड़े अपनी जिंदगी में यही सोच हम लिखने से बेखर नहीं थे। शायद हम कुछ शब्द जोड़े अपनी जिंदगी में यही सोच हम लिखने से बेखर नहीं थे।