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Vimla Jain

Tragedy Action

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Vimla Jain

Tragedy Action

शाश्वत नश्वर

शाश्वत नश्वर

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सब जानते हैं कि यह दुनिया नश्वर है फिर भी

ईश्वर की बनाई है दुनिया

में सब है नश्वर।

 यह सच शाश्वत।

तो भी दुनिया है रंग बिरंगी

कोई जपे हरि नाम।

किसी के बगल में छुरी मुंह में राम।

दोरंगी इस दुनिया को समझ न पाई मैं राम।

कभी लगे मैं में रम जाऊं राम नाम।

कभी लगे कुछ कर जाऊं।

क्योंकि जिंदगी है जीना है तो काम तो करना ही पड़ेगा।

खाली राम नाम रटने से पेट नहीं भरने वाला

उसको चलाने के लिए कुछ काम तो करना ही पड़ेगा।

एक मुट्ठी भर पेट जो शरीर में दिया है भगवान ने उसको तो भरना ही पड़ेगा।

ईश्वर ने बनाया मानव को साथ में बहुत कुछ इच्छाएं और तृष्णाएं दे दी।

मानव मन कभी उचित कभी अनुचित में घूम रहा है।

मन से वैसे ही कर्म कर रहा है जानते हुए कि है शरीर नश्वर है।

फिर भी विषय तृष्णा में झूल रहा है।

संतोष असंतोष के बीच घूम झूलते हुए अपनी जिंदगी को जी रहा है।

संसार असार है।

शरीर नश्वर वान है, जानते हुए भी लोगों पर अत्याचार कर रहा है।

जो ऐसा ना होता तो आज सब तरफ शांति होती है ।

युद्ध के ढंके ना बोल रहे होते।

यूक्रेन रूस की जंग ना हो रही होती।

 अब तो संभल जाओ लोगों।

विश्व शांति को बढ़ावा देकर युद्ध नीति को भूल जाओ लोगों।

मन में शांति और संतोष रखो।

जो आज हमारा है वह भी कल नहीं रहेगा क्योंकि हम ही नहीं रहेंगे

बात को अब तुम समझ जाओ लोगों।

शाश्वत सत्य यही है कि संसार में सब नश्वर है।

 मगर इच्छाओं का फिर भी कोई पार नहीं है लोगों।


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