"सफर जिंदगी है "
"सफर जिंदगी है "
सफर जिंदगी है
संग कौन चलेगा
छाया भी तेरा पीछे
साथ कौन देगा
भूले भटके ऐ इंसा तू
कब तक यूँ भटकेगा
खुद से उलझा-उलझा,
कब तक तू दौड़ेगा
दुःख को किनारे कर ले अब तो
सुख की दो घड़ियाँ जी ले
जीवन भर संताप किये बस
मन में अब धीरज धर ले
पाप पुन्य को अब क्यूँ तोल रहा हैं
निकट समय अब अखरी आया है
मोह माया से मन को क्यूँ बांधे
संदेशा जब प्राणहरता का आया है
पश्चाताप का इक पल न मिलेगा
किया अनिष्ट अपना जब याद आयेगा
बंध चुकी गठरी अब तेरे पापो की
छाया भी तेरा अब मिट जाएगा
सफर जिंदगी हैं, संग कौन चलेगा
छाया भी तेरा पीछे, साथ कौन देगा।