डोर.
डोर.
कुछ लम्हे सिमटे हुए,
पकडे हुए जिंदगी की एक डोर,
कुछ पल बिखरे हुए,
ढूँढने निकले उस डोर को किसी और,
मिले कुछ अंजान पल,
खोए हुए रस्ते में, अकेले से गुमसुम,
हमने कहा चलो साथ चलते है हम तुम,
कुछ पल पाए झिलसी आपकी आंखो मे,
कुछ पाए बादलों जैसी आपके बालो मे,
कोइ मिले आपके रेशमी हाथो मे,
तो कोई आपके मदभरी बाहों मे,
कुछ तो पाए आपके मलमली गालों पर,
और कोई शरबती होंठों पर,
हर एक पल जिंदगी के सुहाने लगे,
पल पल जिंदगी की डोर पकड़ने लगे !!!