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SANJAY SALVI

Abstract

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SANJAY SALVI

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सिलसिला.

सिलसिला.

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हमारे कदम जब लड़खड़ाने लगे,

न जाने क्यू तुम यांद आने लगे,


आँखों में नशा सा छाने लगा,

तेरा चेहरा याद आने लगा,


गिरते रहे हम संभलते रहे,

तेरी सोच में आगे चलते रहे,


ज़माने ने बहुत हमको टोका मगर,

नहीं है हमें किसी से गिला,


जब तक नहीं सामने आओगी,

चलता रहेगा अब तो ये सिलसिला,


चलता रहेगा अब तो ये सिलसिला।


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