माया
माया
यहाँ जो भी है बस माया है,
कहीं धूप है तो कहीं छाया है,
पल दो पल की यह दुनिया है,
यहाँ सब कुछ छोड़ के जाना है,
यहाँ राव भी पलते हैं मस्ती में,
एक ही धरती के सीने के,
टुकड़े करके और बँटते हैं,
रुक रुक के यहाँ पे जीना क्या,
घुट घुट के यहाँ पे मरना क्या,
एक दिन खुद को ही पूछ लेना,
तू जिया है तो किया भी क्या,
चल उठा सुन तेरे दिल की पुकार,
इस जीवन का है तुझ पे उधार,
कुछ कम भी तू ऐसा कर ले,
माया भी कर ले तुझ से प्यार,
माया भी कर ले तुझ से प्यार।