चाहत
चाहत
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अब न कोई आस बची है,
अब न कोई प्यास बची,
जीने की चिंगारी बुझी है,
अब न कोई आग बची,
अब न कोई गम है हमें,
अब न कोई खुशी है बची,
बस हंसते ही रहने की,
अब तो हमें आदत सी लगी,
अब न कोई मंजिल है बची,
ना ही कोई अब राह बची,
फिर भी चलते रहने की,
अब तो हमें राहत सी लगी,
अब न कोई चाह बची है,
ना ही कोई लगन बची,
बस तुम्हीं पे मर मिटने की,
अब तो हमें चाहत है लगी !!!