Shailaja Bhattad
Romance
देर सवेर ही सही,
विश्वास की डोर
थाम ली मैंने।
अरमानों की चाबी,
तेरी ख्वाहिशों पर
वार दी मैंने।
इंद्रधनुष
माँ अम्बे
श्री राम
माँ जगदम्बा
होली
भक्त वत्सल रा...
बसंत पंचमी-1
वसंत पंचमी
हवा में उड़ते सूखे पत्ते, सच्चे प्रेम के कुछ किस्से गाते पंछी। हवा में उड़ते सूखे पत्ते, सच्चे प्रेम के कुछ किस्से गाते पंछी।
कुंद...सेमल...हरसिंगार...पलाश इन लताकुंजों को है तुम्हारी तलाश। कुंद...सेमल...हरसिंगार...पलाश इन लताकुंजों को है तुम्हारी तलाश।
पर्व आधुनिक प्रेम का, वैलिन्टाइन नाम। हमने भी विधिवत किया, एक एक सब काम।। पर्व आधुनिक प्रेम का, वैलिन्टाइन नाम। हमने भी विधिवत किया, एक एक सब काम।।
हैं तेरे बारे में तो बात बहुत , और कुछ मेरी अपनी बीती है ।। हैं तेरे बारे में तो बात बहुत , और कुछ मेरी अपनी बीती है ।।
इश्क़ को बस यही दीवानगी यही सुकून चाहिए। इश्क़ को बस यही दीवानगी यही सुकून चाहिए।
अमलतास सी वफा की छाँव ही छाँव बरसती है। अमलतास सी वफा की छाँव ही छाँव बरसती है।
मैं बन जाती थी आसमान, वो तारा बनकर मुझमें बिखर जाता था... मैं बन जाती थी आसमान, वो तारा बनकर मुझमें बिखर जाता था...
मैं तो अब भी वही हूँ कशमकश भरे कदम रखते हुए, हाथों में मेघदूत पकड़े, भारी पलकों को थामे... मैं तो अब भी वही हूँ कशमकश भरे कदम रखते हुए, हाथों में मेघदूत पकड़े, ...
हां ! अकेली नहीं होती हूं मैं जब तुम मेरे पास नहीं होते। हां ! अकेली नहीं होती हूं मैं जब तुम मेरे पास नहीं होते।
प्रेम सुधा की प्यासी राधा ताप बिरह का कैसे सहे। प्रेम सुधा की प्यासी राधा ताप बिरह का कैसे सहे।
जो जब जब मुझ पर पड़ती है मुझे थोड़ा और तेरा कर देती है। जो जब जब मुझ पर पड़ती है मुझे थोड़ा और तेरा कर देती है।
शहर में तुम्हारी गंध फैली है अभी भी हर आयोजन में। शहर में तुम्हारी गंध फैली है अभी भी हर आयोजन में।
उसके बारे क्या कहां जाए, जो दिल के सबसे करीब है...? आप क्या कहते है...? नहीं बताओगे...? तो चलो हम बत... उसके बारे क्या कहां जाए, जो दिल के सबसे करीब है...? आप क्या कहते है...? नहीं बता...
इत्मिनान इतना कि स्वप्न में थी मैं और तुम अभी चालीसवें में हो। इत्मिनान इतना कि स्वप्न में थी मैं और तुम अभी चालीसवें में हो।
दूरी कब महसूस हुई है , पल पल साथ निभाया ! दूरी कब महसूस हुई है , पल पल साथ निभाया !
बेशक खामियाँ बहुत हो मुझमें, पर प्यार तो तुम से करती हूँ। बेशक खामियाँ बहुत हो मुझमें, पर प्यार तो तुम से करती हूँ।
हे सखी, तू प्रेम मूर्ति, बन उनके जीवन की पूर्ति, तू उनकी आलिंगन है, तू ही उनकी साजन भी... हे सखी, तू प्रेम मूर्ति, बन उनके जीवन की पूर्ति, तू उनकी आलिंगन है, तू ही उनकी स...
हो जाती है पूर्ण तुम्हीं से, काव्य-कामिनी कञ्चन। हो जाती है पूर्ण तुम्हीं से, काव्य-कामिनी कञ्चन।
समझ नहीं पा रही मेरा आँचल छोटा है या तुम्हारे एहसान बड़े क्यूँ समेट नहीं पा रही। समझ नहीं पा रही मेरा आँचल छोटा है या तुम्हारे एहसान बड़े क्यूँ समेट न...
अचानक ही तो मिले थे हम दोनों समय और संस्कारों की यात्रा में। अचानक ही तो मिले थे हम दोनों समय और संस्कारों की यात्रा में।