वास्तव
वास्तव
नींद अच्छी लगती है
आजकल
सपनों में टहलने
जो मिलता है।
आँखे खोलते ही
वास्तविकता
अपना भीषण रूप
दर्शाती है मगर,
सपने सच्चे लगते हैं
आजकल
एक ऊर्जा सा लगाव
जो प्राप्त होता है।
जैसे ही नींदिया
पूरी होती है
ज्वाला सी लपेटे
मेरे आत्मा को मगर,
बड़ा अचंभित
है ये रूप वास्तव में
आँखों को भाता है
मन झुठलाता है
आँख और मन
के इस द्वंद्व में
झुलस रहा है
मेरा सुकून मगर !