काल संकट
काल संकट
कहता सनातन वैदिक दर्शन का ज्ञान
एक ब्रह्मकाल मे होता चार युग महान
सत्ययुग - मेधाकाल
त्रेतायुग - भुजबलकाल
द्वापरयुग - षड्यंत्रकाल
कलियुग - परपंचकाल
बारहसाल का कालखंड कहलाता प्रतियुग
बारह महीना का बन जाता एक पूर्ण साल
ग्रह नक्षत्र बदलता चाल प्रतिमाह प्रतिसाल
मनीषियों ने बताया बार बार
हर युग मे संकट के चार प्रकार
वायु संकट उपाय वातावरण परिवर्तन
जल संकट उपाय स्रोत परिवर्तन
अन्न संकट उपाय स्थान परिवर्तन
काल संकट उपाय इन्तजार अनिश्चय का
सतयुग था मेधा का
प्रभुता रहा बुद्धिबल का
त्रेतायुग था भुजबल का
प्रभुता रहा पौरुष का
द्वापरयुग था षडयंत्र का
प्रभुता रहा दांवपेंच का
कलियुग है प्रपंच का
प्रभुता है कुटिलता का
अक्षयतृतीया कालजयी युगान्तक दिन है
सतयुग के अंत व त्रेता के आरम्भ का दिन है
त्रिलोकी चतुर्युगी परशुराम का जन्मदिन है
त्रिगुणात्मक संतुलन के लिए
राम को अपना धनुष दिया
कृष्ण को सुदर्शन चक्र दिया
कल्किनाथ को प्रशिक्षण देंगे
पंचतत्व की त्रिगुणात्मक बोद्धिसत्व का
पंचतत्वरचित प्रकृति का त्रिगुणात्मक राज
जरूरी है जडचेतन के सहअस्तित्व के लिए
रजोगुण तमोगुण सतोगुण संतुलन
प्रकृति के पंचतत्व का
जरूरत है
आज संभालो कल के लिए
सहायक बनो हर निर्बल के लिए
काल संकट से बचने के लिए।
