जीवन पथ
जीवन पथ
हो राह अंधेरी जीवन की,
तो दीपक बन जलता जा
न हार पथिक तू चलता जा।
जीवन संघर्षों का मेला,
आना-जाना सबको अकेला।
आसान नहीं है डगर, मगर
चलना सबको है हिम्मतकर।
ऊर्जा, आशा, विश्वास लिये,
जीवन की सीढ़ी चढ़ता जा
न हार पथिक तू चलता जा।
तू पथिक हार रुक जाना न
संघर्षों से घबराना न।
जब तक मंजिल न मिल जाये,
तू पीछे कदम हटाना न।
सपने पूरित आशाओं के,
तू निज नयनों में भरता जा
न हार पथिक तू चलता जा।
उठना-गिरना,गिरना-उठना,
अविराम पथिक तुझको चलना।
जो रोक कदम तू बैठ गया,
ये जीवन चक्र नहीं थमना।
हर थकन निशा के पास छोड़,
बन भोर का सूरज चढ़ता जा
न हार पथिक तू चलता जा।
जीवन जीना विजयी बन कर,
हर कदम बढ़े मस्ती में भर।
अवरोध राह में आये कभी,
तुम तोड़ निकालो राह नई।
हर राह सहज हो जाएगी,
तू युद्ध समझ कर लड़ता जा
न हार पथिक तू चलता जा।
तू पवन वेग से बढ़ता जा,
हर एक मुश्किल से लड़ता जा
मरू में जल स्रोतों सा बन कर
और राह अंधेरी ज्योति भर।
आदर्श जगत में कहलाये,
ऐसा महामानव बनता जा
न हार पथिक तू चलता जा।
जीवन में नए इतिहास गढ़ो,
हर शैल पे हो भयमुक्त चढ़ो।
सुख-दुख में रहे सहज ये मन,
जीवन का अंत पुनः जीवन।
उत्तम लक्ष्य रख ध्येय सदा,
जीवन को सार्थक करता जा
न हार पथिक तू चलता जा।