डर
डर
सुना है, डर एक वहम है जो
थोड़ा थोड़ा सबको लगता है।
सुना है, डर एक पिंजरा है
जिसने उजाले को अंधेरों से घेरा है।
सुना है, डर एक एहसास है जो
कामयाबियों तक पोहोचने से रोकता है।
सुना है, डर एक आदत है
जिसने खुशियों को जीने से रोका है।
सुना है, डर एक भयावह सपना है
जो हिम्मत भरी कोशिशों को नाकाम करता है।
सुना है, डर एक अदृश्य शत्रु है
जो हमारे खयालों से भी परे है।
बहुत हो गई सुनी सुनाई बातें
अब वक्त अनुभवों को बताने का है,
जाना है, डर एक अहम किरदार है
जिसका होना सभी के लिए जरूरी है।
माना है, डर एक चाबी है, जिसने
अंधेरी कैद से छुटने का मार्ग बताना है।
आजमाया है, डर एक शुरुआत है जो
कठिनाइयों को लांघ कर जीत तक पहचानती है।
अनुभव किया है, डर एक जरूरत है
जिसने सुखो को पाने का जज्बा दिया है।
जिया है, डर एक जरिया है जिसने कोशिशों को
हौसले से बुलंदियों तक पोहचाया है।
समझा है, डर एक अदृश्य शक्ति है जिसने
अंधेरे ख्वाबों से निकलकर रोशन जहां को दिखाया है।