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Kalpesh Vyas

Abstract

3  

Kalpesh Vyas

Abstract

तारीफ हमने की !

तारीफ हमने की !

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577


चाँदनी की तारीफ़ हम ने की 

चाँद के आगे तारीफ़ हम ने की 

सुन के तारीफ शरमा गया 

लगता है चाँद भरमा गया


छाया की तारीफ हम ने की 

सूरज के आगे तारीफ हम ने की 

पहले तो मामला गरमा गया 

सूरज भी बाद में भरमा गया


तितली की तारीफ हम ने की 

गुलाब के आगे तारीफ हम ने की 

गुलाब का फूल भी भरमा गया 

सुनो वो फूल भी शरमा गया


रानी की तारीफ हम ने की 

राजा के आगे तारीफ हम ने की

राजा भी देखो भरमा गया 

ईनाम हमें कोई फरमा गया 


महबूब की तारीफ हम ने की 

इन सब के आगे तारिफ हम ने की 

नज़र झुका कर शरमा गया 

महबूब मेरा भी भरमा गया।


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