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Deepshikha Nathawat

Abstract Inspirational Others

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Deepshikha Nathawat

Abstract Inspirational Others

प्रकृति

प्रकृति

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पांचवा दिन

छलनी हो चुकी हूँ मैं इस प्रदूषित वातावरण से

मुझे भी स्वच्छता वाला स्वछंद आधार चाहिए..

बढ़ रही है घुटन हर क्षण इस जहरीले माहौल में

प्रकृति हो या प्राणी उन्हें भी देखभाल चाहिए..

छल कपट फैल रहा है चारों तरफ इस दुनिया में..

मनुष्य हो या जानवर उन्हें भी प्यार चाहिए..

ऐसे तो एक दिन नष्ट हो जाएगी ये पूरी पृथ्वी..

यहाँ हर किसी को प्रेम से रहने का अधिकार चाहिए..

कल क्या होगा किसने जाना आज तो खुलकर जी लो

स्वच्छ रहेगी पृथ्वी इसे तो बस हमारी संभाल चाहिए

वृक्ष उगाओ प्रकृति बचाओ जीवन को सरल बनाओ

सभी रहो यहाँ प्रेम भाव से ये ही जीवन का सार चाहिए..



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