निगाह में
निगाह में
किसकी निगाह में
क्या छुपा बैठा है
ये कौन जाने,
चलो हम कुछ
तलाशें खुशी,
यादें, लम्हे पुराने।
छोड़कर खुद को
उनकी निगहों में
पढ़े अफसाने।
चलो हम भी लिखें
कुछ गज़ल,
नज़्म और तराने।
चल पड़े साथ
लेकर कुछ
अर्जमंदों को सुनाने।
ये जिंदगी जीने के
बहाने, फ़साने
और अफ़साने।