कमियाँ..
कमियाँ..
कमियाँ...
सोचू तुझे तलाश रहा हूँ कमियाँ
तेरे बीन कितनी बेरंग लगे है दुनियाँ....
याद आये सितम ना कोई गीला
बड़ा बेदर्द तेरा दिल हरज़ाई मीला
मेरी वफा बता ना पाये खामियाँ...
आँखोमें आस इक तेरी तलाश
मैं बन गया हूँ जीते जी लाश
कौन मिटाये मेरी आँखोंकी नामियाँ...
तू ड़ाल गई बेवफ़ाई का परदा
तेरी रुसवाई का बता दे इरादा
यादें तेरी उड़ रही बन तितलियाँ...
संगम कैसे जिये बीन तेरे अकेला
कोई तू दे जा जीने का हसीन मेला
बीन तेरे सावन जैसी बहनें लगी अँखियाँ.....

