यमराज
यमराज
मृत्यु के बाद छाया और प्रिया की आत्मायें दूसरे लोक में पहुँची। छाया और प्रिया दोनों पड़ोसी थीं। छाया बहुत पूजा -पाठ करती थी। प्रिया को अपना घर चलाने के लिए सेरोगेसी करनी पड़ी थी और वह कॉलर गर्ल का काम करती थी। कॉलर गर्ल को लोग अक्सर रातों में कॉल करते हैं।
प्रिया, छाया का बहुत सम्मान करती थी। हमेशा वह सोचती थी कि छाया एक देवी है, छाया के दर्शन मात्र से ही शायद उसके सारे पाप धुल जाएंगे। ईश्वर उसके जैसी ज़िन्दगी कभी भी किसी को न दे।
छाया को प्रिया फूटी आँख नहीं सुहाती थी। वह अपने आसपास के सभी लोगों के बीच प्रिया के चाल -चलन को लेकर टीका -टिप्पणी करती रहती थी। वह सोचती थी कि भगवान इसे कोई दंड क्यों नहीं देता।
मृत्यु के बाद दोनों की आत्मा चित्रगुप्त के सामने पहुंची। चित्रगुप्त ने दोनों का कच्चा -चिट्ठा यमराज के सामने रखा। यमराज ने प्रिया को स्वर्ग और छाया को नर्क में भेजते हुए कहा कि "प्रिया ने जो किया, मजबूरी में किया। उसके बावजूद भी वह दुःखी रहती थी और छाया की प्रशंसा करती थी। लेकिन छाया तुमने अपने नेमतों के मूल्य को नहीं समझा और अपनी ज़िन्दगी प्रिया को कोसने में ही लगा दी। "