ये कैसी दुनिया
ये कैसी दुनिया
डाक्टर राम कुमार आज लग भाग ८० साल के हो गए है। पिछले ५० साल से वो अपनी घर और परिबार से दूर रहेके देश की उत्तर पश्चिम भाग में, जहां कोई जाके काम करना पसंद नहीं करता, लोगों का सेवा कर रहे है। उनके बच्चों को बड़ा करने की जिम्मा उनकी पत्नी सीता देवी ने लिया और खूब अछि तरह से निभाया भी। बस बिच बिच में वो अपनी घर २/३ साल में आते थे और फिर अपनेकर्मभूमि को चले जाते थे.उनको वहां की लोगों के साथ एक लगाओं हो गया था। अपनी पत्नी और बच्छे भी उनकी ये सेवा भाबना का आदर करते थे। सीता देवी ने बहुत तक़लिब उठायें है बच्चों को बड़ा करने में। उन्होंने एक सरकारी स्कुल में टीचर की नौकरी भी करते थे। उपरवाले के आशिस से उनकी दो बेटी और एक बेटा का शादी हो गया है। सबके शादी करवाने डाक्टर राम कुमार घर आते थे। दो बेटी कमला और आरती और बेटा प्रकाश। कमला एक कालेज में प्रोफेसर है, आरती गृहिणी और उसकी पति एक बड़ा सरकारी अधिकारी है।
कमला के पति भी एक सरकारी नौकरी करते है। बेटा पक्ष एक इंजीनियर है और वो अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अलग रहता है। तीन साल पहले सीता देवी का निधन हो गया था। उन्होंने अपने सारे जमा पूंजी तीनो बच्चों के नाम कर गए थे। उनकी निधन के बाद राम कुमार जी थोड़ा तूट गए थे। वो अपने बेटे प्रकाश को आज भी उनकी कमाई से पैसे भेजते रहते है। डाक्टर राम कुमार वहां लोगों का सेवा करने के साथ साथ अपने बच्चों का भी इस उम्र में खबर लेते है और ख्याल भी रखते हैं.और जबसे सीता देवी का निधन हो गया, तब से वो थोड़ा ज्यादा ख्यायल लेने लगे हैं.वो अपनी फ़र्ज़ निभाते जा रहे हैं। वहां के लोगों को वो छोड़ के आ नहीं पा रहे हैं, कियूं की उनको राम कुमार जी का जरुरत है। वो गरीब और मासूम लोगों का मुफ्त में इलाज करते हैं।
पिछले कुछ महीने से उनकी पेट में दर्द होना चालू हुआ। वो कुछ दवा खा के खुद की इलाज कर लिया करते थे। पर असल में अभी एक महीने पहले जाँच करने पे उन्हें मालुम चला की उनकी पित्तकोष में पत्थर हो गया है। जिसके वजे से उनको बहुद दर्द होता है और उनको कामल भी हो गया है। वो वहां के कुछ हॉस्पिटल में गए उसके ऑपरेशन और इलाज के लिए। अब सारा दुनिया में एक महामारी सबको भयभीत करके रखा है। उसके होते हुए उनकी वो दर्द के साथ भी राम कुमार जी ने लोगों का इलाज करना बंद नहीं किये थे। पर जब उनकी इलाज करने वो गए तो सारे हॉस्पिटल उनको निराश किये, कोई ऑपरेशन करने को तैयार नहीं हुया। अपनी बेटा प्रकाश भी उनके पास उस समय जाके देख भल नहीं किया। उनकी छोटी बेटी जो एक गृहिणी है वो उनसे बात की और बोली तुरंत उसके पास आजाने के लिए। उसने अपने ही सहर में एक हॉस्पिटल से बात करके और डाक्टर के सलहा ले ली थी ऑपरेशन के लिए।
डाक्टर राम कुमार अपनी छोटी लाड़ली की बात मान कर हिम्मत जुटा कर उस दर्द के साथ अकेले उसके पास आगये। उनकी आने के बाद आरती के सहर में इस महामारी के चलते सब कुछ सर्कार ने बंद कर दिया। बड़ी मुश्किल से आरती और उसकी पति ने कैसे भी करके राम कुमार जी का सारे जांच करवा लिए और उनको उस हॉस्पिटल में भर्ती करवा दिए। उनकी बेटा प्रकाश और बड़ी बेटी कमला को भी ये खबर दे दिए। ऑपरेशन का तारीख ठीक हो गया। बड़ी मुश्किल से यहां की डाक्टर ऑपरेशन करने को राजी हुए। राम कुमार जी सोचते रहे गए,जहाँ वो उनकी जिंदगी का आधे से ज्यादा समय लोगों का सेवा में बिता दिए, वहां के डाक्टर उनके इलाज के लिए मना करदिये, पर जहाँ उनको कोई नहीं जानता,वहां उनका ऑपरेशन होनेवाला है। और एक चिंता भी उनको परेशान करने लगा की जिस बेटा का वो अभीतक ख्यायल रखते आरहे है, वो अबतक नहीं आरहा है। जो भी है उनकी ऑपरेशन का तैयारी हुआ। वो ऑपरेशन के लिए जाने के पहले अपनी बेटी आरती को पास बुलाकर उसकी हात पकड़ कर बोले, ''बेटा ये कैसी दुनिया है ?अब किसीके पास दूसरे का दर्द समझने को समय नहीं है। जिनको अपना समझ के सब कुछ उनपे लुटा देते, वो कभी पलटके नहीं देखते। पर तुम कभी ऐसे नहीं करना। तुम अपने फ़र्ज़ कभी नहीं भूलना। ऊपरवाला हमेशा तुम्हारी साथ देगा। ''
अब डाक्टर राम कुमार जी का ऑपरेशन ठीक से हो गया। उनकी दर्द भी चलागया और वो परेशानी से मुक्त हो गए। अब वो सोचते है बाकी के जिंदगी वो अब यहीं अपनी सहर में रहकर लोगों का सेवा करेंगे। भले कोई उनका साथ दे या नहीं, कमसे कम अपनी डाक्टर होने का फ़र्ज़ तो निभाएंगे। जिस हॉस्पिटल में उनकी ऑपरेशन हुआ वो एकदम नया है। उन्होंने उस हॉस्पिटल में अब मुफ्त में लोगों का सेवा करने निर्णय लिए और अपनी बेटी को बोले उनसे बात करने के लिए। आरती भी बहुत खुस हो गयी और जब वो उस हॉस्पिटल के मालिक से बात की, वो डाक्टर बहुत खुस हो गए और राम कुमार जी के पास जाके बोले, ''सार आप जैसे डाक्टर के हमें साथ मिलना हमारा सौभाग्य होगा। में इसका पूरा तैयारी कर लूंगा। पहले आप पूरा ठीक हो जाईये। ''डाक्टर राम कुमार हास्के बोले, '' अब मुझे समझ में आ रहा है, ये कैसी दुनिया है ?जहाँ सेवा का भावनाओं के साथ डाक्टर काम करते हैं, वहां इस्वर का बास होता है। आपको बहुत धन्यवाद। हम मिलके लोगों का सेवा करेंगे।
