वसुधैव कुटुंबकम

वसुधैव कुटुंबकम

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"वसुधैव कुटुंबकम ,इसका मतलब क्या होता दादाजी?"अचानक पढ़ते-पढ़ते निहाल ने अपने दादाजी महेश से पूछा।

महेश स्नेहसिक्त वाणी में बोले" इसका मतलब यह है बेटा कि पूरी धरती ही हमारा परिवार है।"

  निहाल ने आश्चर्य से कहा "इतनी बड़ी पृथ्वी हमारा परिवार? पर पृथ्वी पर तो कई प्रकार के जीव रहते हैं तो क्या वो भी हमारा परिवार हैं ?"

महेश ने उसे समझाते हुए कहा "पूरी वसुधा को परिवार समझने का अर्थ है,कि सभी के प्रति अपने परिवार के सदस्यों की तरह प्रेमभाव रखना।"

   "प्रेमभाव वो कैसे दादाजी? "निहाल ने उत्सुकता से पूछा है l

महेश बोले" प्रेमभाव रखना अर्थात सभी की आवश्यकताओं का ध्यान रखना किसी के प्रति बुरी भावना न रखना है ,हमारी संस्कृति की तो ये मूल भावना है।पहली रोटी गाय की और अंतिम रोटी श्वान की निकाली जाती है,वृक्षों को,नदियों को पूजा जाता है, चींटियों को आटा डाला जाता है और घर आए अतिथी का भी भगवान मानकर मान किया जाता है।"


    


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