वर्तमान बनाम भूत भविष्य

वर्तमान बनाम भूत भविष्य

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जोरू का गुलाम और माँ के पल्लू से बंधा बेटा दोनों सास बहू को अस्पताल ले आया|

"माँ जी! आज से अस्पताल में बड़े डॉक्टर साब बैठेंगे एक हफ्ते के लिए| आपको पेट में तकलीफ रहती है तो अबके पूरा इलाज करवाएँगे|"

"अरी जा मरजानी| ऊपर ऊपर से दिखावा न कर मेरे सामने| रोज़ मेरे मरने के ख्वाब देखती होगी कि कब बुढ़िया मरे और तू आज़ाद घूमे मेरे छोरे के साथ| मुझे छोड़, अपना इलाज करा| रोज़ उल्टियाँ करती फिरती रहती है|"

"अच्छे से जानती हूँ आपकी फिक्र को| रोज़ तिकड़म लगाते हो कि कैसे आपका बेटा आपके पल्लू से बंधा रहे| कैसे मैं उनकी जिंदगी से निकल जाऊँ।" बहू मन ही मन बुदबुदायी| बारी आने पर...

पेशेंट नम्बर-१: बहू

"डॉक्टर साब, मुझे तो हल्का फुल्का रक्तचाप ही है बस| बाहर मेरी सास बैठी हैं| उन्हें ध्यान से देखिएगा| बहुत तकलीफ में रहती हैं बेचारी| कुछ खाया पीया भी नहीं जाता उनसे| गुर्दे फेल होने वाले हैं, ये बताया था आपसे पहले डॉक्टर ने| अगर एक एक गुर्दे से हम दोनों का काम चल जाए तो मैं अपना देने को तैयार हूँ| वो बड़ा प्यार करते हैं अपनी माँ से| और जैसी भी हैं, हैं तो हमारी नींव ही न| जड़ों को भूल कर कलियाँ भी कहाँ पनप पाती हैं!"

पेशेंट नम्बर-२: सास

"रे डॉक्टर बेटा, मेरी तो उमर हो चली है| कल की मरती आज मरूँ, ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा|वो जो अभी तुझसे मिलकर गयी न, वो बहू है मेरी| इत्ती-सी उम्र में रक्तचाप और न जाने क्या क्या तकलीफ में रहती है| मेरे बेटे का भविष्य है वो मुई| मेरा खून उसको चढ़ जाए तो का ठीक हुई जाएगी? दर्द में भी राजी खुशी जी लूँगी मैं| तू बस उसको ठीक करदे|"

अंदर बैठा डॉक्टर, और माँ और पत्नी की बातें सुन रहा बेटा अभी भी ये समझने में असफ़ल है कि जब दोनों को जोड़ने वाली कड़ी भी एक है, तो ये भूत और भविष्य मिलकर वर्तमान का काल क्यों बनी रहती हैं!


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