नया पौधा

नया पौधा

2 mins
425



"पापा! मुझे नया बैट लेना है”


"बेटा परसों ही तो मैंने तुम्हें नए खिलौने दिलाये। तुम्हारा बैट भी अभी तक टूटा नहीं और अभी गुंजायश नहीं है। अगली सैलरी पर सोचेंगे” आनन्द पौधों को पानी देते हुए अपने बेटे अमन को समझा रहा था।


"दिला दे बेटा! एक ही पोता है हमारा। अपने जीते जी इसे ऐसी छोई छोटी चीज़ों के लिए रोते देखने के लिए ही जिंदा नहीं रहना। मेंरी पेंशन से दे दूँगी मैं तुझे” दादी ने आकर अपने पोते को लाड़ लड़ाना शुरू कर दिया।


"माँ! जरूरत की चीज़ माँगता तो तुमसे लेकर दिला देता। पर ये तो फ़िजूलखर्ची है। देखो इसका ये बैट अभी ठीक है” आनंद ने अपनी झुंझलाहट भीतर ही दबानी चाही।


“देख न! छोटा है ये। इसे झुकना पड़ता है। बड़ा हो रहा है तेरा बेटा। उसके हिसाब से तो होना चाहिए न!” दादी की आँखों पर बंधी मोह की पट्टी उन्हें जायज़-नाजायज़ और नीयत-जरूरत का फर्क भुला चुकी थी।


“नहीं माँ! इसे बिगाड़ो मत। ये बैट अभी पूरा साल और चलेगा और भी बहुत खिलौने हैं इसके पास। उनसे खेल लेगा” आनंद ने अपना निर्णय सुना दिया।


"अरे बेटा नए पौधे को सींचेगा नहीं तो वो सूख जाएगा। यही तो उम्र है इसकी जिद्द करने की, सारे खेल खेलने की। हमारी तुम्हारी उम्र में तो इसे भी अपने बच्चों के सपनों के लिए ही जीना है” दादी ने आखिरी पैंतरा चल दिया।


“नहीं माँ! जरूरत से ज्यादा पोषण और पानी भी पौधे को गला देता है। धूप रूपी सख्ती भी जरूरी है। जिद्द अब अच्छी लग रही है, पर जब यह इसकी फ़ितरत बन गयी तो इसके कदम गलत दिशा में उठने के जिम्मेदार हम होंगे। ये नहीं। वैसे भी चादर देखकर पैर फैलाये जाते हैं, वरना खींचतान से वो फट जाती है। इसे ये समझाने और सिखाने की जिम्मेदारी भी मेरी है”


"जाओ बेटा पढ़ाई करो। कुछ बनो तो बेशक हज़ार बैट खरीद लेना। मैं नहीं दिला सकता”


आनंद की सख्ती से अमन ने दादी की ओर आस से देखा पर उनके चहरे के भाव भी बदल चुके थे। मोह की पट्टी खुल चुकी थी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama