Sangeeta Agarwal

Crime

3.1  

Sangeeta Agarwal

Crime

वो सीरियल किलर

वो सीरियल किलर

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"अलेक्जेंडर क्लब" शहर का बड़ा पॉपुलर और प्रतिष्ठित क्लब था।बड़े बड़े आला अधिकारी,उद्योगपति उसके मेंबर्स थे।आज पूरा क्लब दुल्हन की तरह सजा हुआ था,सुन्दर लाइटनिंग,मनभावन म्यूजिक और फूलों से सजाएं एंट्रेंस उसकी सुंदरता को चौगुना बना रहे थे।

एक से एक सजे हुए कपल्स बड़ी अदा से मुस्कराते प्रवेश करते और कई फ्लैशलाइट्स उनका स्वागत करतीं।डॉक्टर सजल सिंह, अपनी खूबसूरत पत्नि ऋचा के साथ आये और प्रशंसको की भीड़ ने उन्हें घेर लिया, उनके व्यक्तित्व में इतना चुम्बकीय आकर्षण था मानो कोई फिल्मी अभिनेता हों,और वैसे तो आदमी के अच्छे कर्म, उसे दैवीय गुण और रूप देते हैं और भगवान ने उन्हें ये प्रदान करने में जरा कंजूसी नही बरती थी।

आज क्लब में "बेस्ट कपल प्रतियोगिता "का आयोजन भी था,सब अपनी तरफ से कोई कसर नही छोड़ना चाह रहे थे।

तीन राउंड सफलतापूर्वक निबट गए थे और ये डॉक्टर कपल ही सबसे आगे था,अब एक चौथा और आखिरी राउंड था जिसमें उनकी प्रोफेशनल एफिशिएंसी,और उसका वास्तविक जिंदगी से जुड़ाव का परीक्षण चल रहा था।

और फिर सारा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज गया और वो दोनों विजेता का ताज अपने सिर पर सजाए मुस्करा रहे थे।

उस दिन बहुत थक गए थे दोनों ही,खूब मस्ती की थी आज लेकिन अगले दिन डॉक्टर सिंह की सुबह की फ्लाइट थी,उन्हें किसी कॉन्फ्रेंस के लिए सिडनी जाना था।

उन्होंने ऋचा से कहा,सुबह का अलार्म लगा दो,मुझे अर्ली मॉर्निंग निकलना है।

ऋचा की आँखों से नींद आज कोसों दूर थी जबकि डाक्टर सिंह गहरी नींद में दो चुके थे।

बड़े प्यार से वो उन्हें देखने लगी कितनी मासूम, प्यारी मुस्कराहट थी उनकी चेहरे पर,जैसे कोई अबोध बच्चा हो।

ऋचा को अपनी तकदीर पर कभी कभी विश्वास न होता,ये किन जन्मों का पुण्य था जो सजल उसे पति रूप में मिले, इतने दयालु,सज्जन आदमी,कितने ही आश्रम उनके दिए रुपयों से चलते,गरीब लड़कियों का विवाह कराते, किसी भी गरीब से न केवल फीस नहीं लेते वरन दवाइयां भी अपने स्टोर से फ्री देते।

यही सब सोचते कब उसकी आंख लग गयी।

सुबह जब उठी तो सजल जा चुके थे, उसके लिए वॉइस मेसज छोड़ गए थे कि रानी ने(उनकी मेड सर्वेंट)मुझे ब्रेकफास्ट करा दिया था,तुम बहुत गहरी नींद में थी इसलिए डिस्टर्ब नही किया डार्लिंग,नो नो कम्प्लेंट्स।

धीमे से मन ही मन वो मुस्करा उठी।आज शरद पूर्णिमा थी और घर में उसने पूजा रखी थी,जल्दी ही वो दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर पूजा के कामों में लग गयी।

सजल, जब भी बाहर होते उसे घर काट खाने को दौड़ता,एक ही बेटी थी वो बोर्डिंग स्कूल में पढ़ती थी,दरअसल उन दिनों जब उसको स्कूल में डालना था, सजल की पोस्टिंग कहीं गांव में थी तब से वो बोर्डिंग में ही पढती।

यूं तो उसकी मेड, रानी बहुत अच्छी थी,उसका हरवक्त ख्याल रखती लेकिन सब काम निबटाने के बाद अपने सर्वेंट क्वार्टर में चली जाती जहां वो,उसका पति रधु और एक नन्हा बेटा रहते थे।

सुबह उठकर ऋचा अलसायी सी चाय का इंतजार कर रही थी कि रानी चाय एयर न्यूजपेपर संग लाई और उसे पकड़ा दिए।

ओह, थैंक्स रानी,वो मुस्कराई,चाय पीकर फ्रेश हो जाती वो फिर ताजी खबरें....और क्या चाहिए।

अरे...ये क्या एक और मर्डर,बेसाख्ता उसके मुंह से निकला,जल्दी जल्दी वो सारी न्यूज़ पढ़ गयी,हाय, कितनी बेरहमी से मारता है कातिल,वो सारी न्यूज़ पढ़कर कांपने सी लगी,शायद पिछले महीने ही तो ऐसे ही एक आदमी का कत्ल हुआ था।

लिखा था कि कातिल बहुत शातिर है,कोई सुराग नहीं छोड़ता,पुलिस की बड़ी किरकिरी हो रही थी इस केस में,लगातार दो मर्डर हो चुके थे एक ही तरह से,आदमियों को ही मारा गया था दोनों बार और एक समानता ये थी कि उनका मुंह कुचल दिया जाता था।

पुलिस की तफ्तीश में ये बात सामने आ रही थी कि शायद एक ही आदमी का ये काम था।

आज सारा दिन ये सोचते ही निकल गया,रह रह के उस मर्डरर का ख्याल आता और वो कांप जाती,शाम को सजल लौट के आये तो बहुत डरी हुई थी,उसने सारी बाय उन्हें बताई,वो कहने लगे हां, मैंने भी पढ़ी थी ये खबर।

जब भी वो बाहर से आते,कुछ अनमने से रहते,शायद थकान की वजह से,उनका नियम था,आते ही खा पीकर फ्रेश होके वो खुद को स्टडी रूम में बंद कर लेते।

इस रूम से ऋचा बहुत चिढ़ती,उसे ये अपनी सौत जैसा लगता और हो भी क्यों न, सजल ने कभी उसे इसमें आने नही दिया,इसकी सफाई भी वो खुद करते। शुरू में उसे बहुत गुस्सा आया पर धीरे धीरे वो एडजस्ट कर गयी:मुझे क्या मतलब,हर किसी की प्रिवेसी होती है जिंदगी में और हमें उसकी इज्जत करनी चाहिए।

जिंदगी बड़ी तेजी से आगे बढ़ती चली जाती है,ऐसे ही उन लोगों का समय कटता जा रहा था।

आज फिर वो अकेली थी घर में,सजल कही बाहर अब्रॉड थे,रानी सब काम निबटा के अपने कमरे में जा चुकी थी।टी वी पर "क्राइम पेट्रोल"लगा लिया था उसने,बडा सस्पेन्स था उस दिन की घटना में,वो शुरू में उत्सुकता से देखती रही फिर देखते देखते सो गई।

सुबह देर से आंख खुली जब कुछ शोर सा सुनाई दिया घर में।

पुलिस की दो दो गाड़ियां घर मे देख वो स्तब्ध रह गयी,पता चला रानी के आदमी का बड़ी बेरहमी से क़त्ल किया गया था,रानी और उसका बच्चा बुरी तरह रो रहे थे।लाश को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया जा रहा था।

उसने सजल को फ़ोन किया,पता चला वो अभी रास्ते मे था,दोपहर तक घर पहुंचेगा।

उनके सारे घर की तलाशी ली जा रही थी,कहीं मुजरिम कोई निशान छोड़ गया हो,तब उस बन्द कमरे के बारे में पुलिस ने पूछा,ऋचा ने कहा:इसकी चाबी हमेशा मेरे पति के पास रहती है,वो दोपहर तक आयेंगें।

सजल भौचक्के रह गए जब सारे घर मे पुलिस देखी

उनसे जब पुलिस ने उस कमरे की चाबी मांगी तो उन्होंने साफ इंकार कर दिया,लेकिन ये पुलिस थी उनकी बीबी नहीं, जो चुप रह जाती।

पहली बार ऋचा को भी कुछ अजीब लगा उनका व्यवहार,उसे एक आश्चर्य और हो रहा था कि इसबार भी पूर्णिमा की रात को ही क़त्ल हुआ था,"आदमी" को ही मारा गया था और जिसके एक छोटा बच्चा भी था।

तीन बार एक सा ही किस्सा दोहराया गया था,बात कुछ अजीब सी थी और पहेली भी जिसमे उलझते ही जा रहे थे।

पुलिस ने डॉक्टर सजल से कहा:हम आपकी बहुत इज्जत करते है,आपकी ड्यूटी बनती है आप पुलिस के साथ सहयोग करें।

सजल ने उनकी एक न सुनी और अपनी बात पर अडिग रहे पर पुलिस पर भी ऊपर से बहुत दबाब था केस सुलझाने का और उसे दाल में कुछ काला नजर आने लगा था।

डॉक्टर सजल के विरोध करने पर भी उनलोगों ने ताला तोड़ दिया और थोड़ी देर में इतने दिनों से उलझन बनी मर्डर मिस्ट्री सॉल्व हो गई और डॉक्टर सजल के हाथों में हथकड़ी पड़ चुकी थी।

डॉक्टर सजल खुद एक बड़े डॉक्टर होने के बाबजूद एक मानसिक रोग के शिकार थे।उनके कमरे में उनकी मृत मां की तस्वीर थी जिन्हें उनके बचपन मे उनकी आंखों के सामने उनके अपने ही पिता ने मार डाला था।उनके कमरे से ढेरों डायरी,टेप रिकॉर्ड मिले जहां वो अपनी पूरी योजनाएं बनाते और उसे अंजाम देते।एक मनोचिकित्सक ने बताया कि इस तरह के पेशेंट्स के अवचेतन में कुछ बातें गहरे में बैठ जाती हैं और पूर्णिमा की रात को जब चंद्रमा अपनी पूरी कलाओं में होता है उन्हें उद्वेलित करती हैं,ज्यादातर अपराध उन्ही रातों में होते हैं।

डॉक्टर सजल निर्विकार बैठे रहे,उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई।लेकिन लोग बहुत डर हुए थे, उन्होंने सपने में भी नही सोचा था कि इतना नेक दिल आदमी ये काम भी कर सकता था।


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