वो सहोदर हैं हमारे असल मे।
वो सहोदर हैं हमारे असल मे।
हम खून की किस्तें तो कई दे चुके लेकिन,
ऐ खाके वतन ये कर्ज अदा क्यों नही होता।- इमरान प्रतापगढी
कल मेरे सहपाठी मो. इमरान को कई दिनों बाद देखने पर बस ऐसे ही पुछ लिया मैने की कहां था तू, उसका जबाब सुनकर मै भी अंदर तक कांप गया उसने कहा कि खुद को भारत माता का लाल साबित करने के लिए कागजात के जुगाड़ मे घुम रहा था।
कैसी लाचारी थी उसकी बातो मे, जो कल तक खुद को भारत के लिए पाकिस्तान से युद्ध करने वाले एक फौजी का बेटा कहता था आज उसी फौजी पिता को भारत का नागरिक साबित करने की जद्दोजहद मे लगा हैं।
मैने बस यू ही मजाक मे कह दिया कि जब देश छोड़ने की नौबत आ ही जाये तो अपना घर मेरे नाम कर जाना तो लगभग रुआंसा सा होते हुए बोला मर जायेंगे सुशील पर देश नही छोड़ेंगे।
इस हद तक समर्पित की मर जायेंगे पर देश नही छोड़ेंगे ?
कब तक दें हम अपनी,
वफाओं का सबूत ऐ वतन।
मेरे पुरखों की जवानियां,
भी तो यहीं खाक मे मिलीं हैं।
उसका दुख कल बिफर पड़ा मुझ पर करीब-करीब रोते हुए सा बोला पाकिस्तान से क्रिकेट मे हारने पर लोग मुझसे सवाल करते है कि कैसा लग रहा है तुम्हे?
पाकिस्तान से भारत के जंग जीतने पर, लोग कहते हैं मुझसे कि तुमको अच्छा तो नही महसूस हो रहा होगा?
अब मै कैसे बताऊं हर एक को कि भारत से पाकिस्तान को मिलने वाली मात मे मेरे अब्बा की पसलीयां भी टूटी हैं।
किस-किस को बताऊं कि भारत माता की लाज बचाने के लिए लामबंद जय माँ भवानी की जयकार लगाते हिंदू सैनिकों की कतार मे मादरे वतन को सलाम करते मेरे अब्बा भी खड़े थे।
किस-किस को बताऊं की अब्बू की सलामती के साथ-साथ भारत माता की विजय के लिए परवरदिगार की इबादत मे अम्मी को न जाने कितनी ही रातों मे बिना खाये, रोते हुए देखा है मैने।
मै मानता हूं कि हाजी मस्तान, दाउद इब्राहिम, अबु सलेम मुझमे से ही एक थे तो मै ये किस-किस को बताऊं की अशफाक उल्लाह, अबुल कलाम आजाद और अब्दुल कलाम भी हम ही से थे।
किस-किस को बताऊं कि जितना देश आपकी रगो मे बहता है उससे एक रत्ती भी कम तिरंगा मुझमे नही लहरता।
अब मेरा सवाल ये है कि क्यों हम नही समझ पा रहे हैं कि इंद्रधनुष मे सात रंग होते हैं पर हम इन्हें क्यों इंद्रधनुष मे उपलब्ध काले रंग से ही पहचानते है? क्यों उसके बाकी खुबसूरत रंगो मे उनकी पहचान नही ढूंढते हम ?
क्यों हम उनकी पहचान भारतीय के तौर पर नही करते?
जो हमारे नहीं थे वो 1947 मे पाकिस्तान चले गए और जिसने भारत को अपना वतन कहा वो सहोदर हैं हमारे असल में।