वो पहली नज़र का प्यार -3
वो पहली नज़र का प्यार -3
सभी कामों को पूरा करने के बाद, आज फिर नंदिनी अपनी डायरी खोलती है और पिछले कुछ दिनों में लिखे पन्नों को ऐसे स्पर्श करती है जैसे मानो इन पन्नों को छूकर पुरानी स्मृतियां एक एक करके उसकी आंखों के सामने से गुज़र रही हों। ये एहसास ही नंदिनी के चेहरे पर मुस्कुराहट बन कर तैर गया था। फिर सहसा नंदिनी एक कोरा पन्ना खोलती है। आज नंदिनी इसी कोरे पन्ने में अपने खूबसूरत लम्हों को एक बार फिर कैद करने जा रही थी। नंदिनी लिखती है......
अगले दिन सुबह जब मैं स्कूल जाती हूं, तो घर से कुछ दूरी पर ही हल्के नीले रंग की शर्ट और ब्लैक पैंट पहने एक लड़का मुझे नज़र आया। पर्सनेलिटी काफी अच्छी थी और ड्रेसिंग सेंस अच्छा था, शायद इसीलिए मेरा ध्यान उस युवक की तरफ़ गया था। अभी तक जो युवक मेरी तरफ़ पीठ दिखाकर खड़ा था, मेरे कदमों की आहट सुनकर अचानक मेरी तरफ़ मुड़ गया था। एक पल को मानो मेरे चारों तरफ़ सन्नाटा छा गया था, और मेरी पलकें झपकना जैसे में भूल सी गई थी। तभी राहुल सर ने गुड मॉर्निंग बोलते हुए मेरे सामने चुटकी बजाई और मैं स्टैच्यू मोड से बाहर निकली। बदले में मैने भी सर को गुड मॉर्निंग विश किया।
तो आप मेरा इंतज़ार कर रहे थे, सर? मैने जानने के लिए पूछा था। अब कहीं न कहीं मुझे एहसास होने लगा था कि शायद राहुल सर जाने अंजाने मुझसे जान पहचान बढ़ाने और शायद मेरे करीब आने की कोशिश कर रहे थे।
स्थिति को भांपते हुए मैने अपने कदमों को तेज कर लिया था पर मेरे कदमों के साथ साथ राहुल सर ने भी अपनी गति बढ़ा ली थी।
"देखिए नंदिनी, मेरा घर भी यहीं पास ही में है, आप भी स्कूल जा रही हैं और मुझे भी वहीं जाना है। तो क्यों न साथ ही स्कूल चलें।"
जब मंजिल एक हो और राहगीर भी अच्छा मिले तो सफ़र का मज़ा भी दोगुना हो जाता है। आंखों में आंखें डालकर राहुल सर ने इस बात के साथ बहुत कुछ कह दिया था। खैर बात करते करते हम स्कूल पहुंच चुके थे।
स्कूल में टीचर्स आपस में राहुल सर के बारे में बात कर रहे थे की राहुल अभी ग्रेजुएशन विद म्यूजिक थर्ड ईयर का छात्र है। काफ़ी प्रतियोगिताओं में भाग लेता रहता है और कॉलेज में भी एक होनहार छात्र है। ये सब सुनकर मुझे इतना तो पता चल चुका था की ये राहुल सर कोई ऐसा वैसा इंसान तो नहीं है, क्योंकि काफ़ी लोग उनकी सराहना कर रहे थे और फिर उनका घर भी हमारे ही घर से थोड़ी दूरी में था। अब तक मैने किसी से भी राहुल सर के बारे में कुछ भी बुरा नहीं सुना था।
इसी तरह दिन गुजरते गए। सुबह का घर से स्कूल तक का सफर प्रतिदिन राहुल सर के साथ कटने लगा। आखिर में वो दिन आया, जिस का इंतजार मुझसे ज्यादा शायद सर ने किया था। रोज रोज के सफ़र में कहीं न कहीं मेरे मन में भी राहुल के लिए कुछ कोमल भाव जन्म ले चुके थे।
उस रोज़ राहुल सर ने सुबह के सफ़र को बीच में रोकते हुए मेरा हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा था,"नंदिनी, पहले दिन से ही मुझे तुमसे एक लगाव सा हो गया है। तुम्हारी आवाज़ में तो जादू है ही पर उस से भी ज्यादा कहीं अच्छी मुझे तुम्हारी सादगी लगी। जीवन के किसी भी मोड़ पर जब मैं अपना हमसफ़र चुनूंगा तो सबसे पहले और आखिर में तुम्हारा ही हाथ थामूंगा। मुझे शादी की जल्दी न आज है और न ही कल होगी। मैं हमेशा चाहूंगा कि मेरी पहचान तुम्हारे साथ जुड़े उस से पहले, तुम दुनिया में खुद की पहचान बना चुकी हो। मेरा वादा है कि मैं भी तुम्हारा हाथ खुद की पहचान बनने पर ही थामूंगा।"
ये मेरे जीवन का सबसे पहला और सबसे आखिरी प्रेम प्रस्ताव था। मैने राहुल को ही अपना हमसफ़र चुना। मैने और राहुल दोनो ने शिक्षा के क्षेत्र में अपना करियर बनाया और आज हमारी शादी को 5 साल हो चुके हैं। आज भी हमारे बीच में उपजा वो पहली नज़र का प्यार बिलकुल वैसा ही है, जैसा पहली मर्तबा था।
इन्ही शब्दों के साथ नंदिनी अपनी डायरी बंद कर चुकी थी। तभी राहुल भी घर वापस आ चुके थे। एक बार फिर वो पहली नज़र का प्यार चारों ओर अपनी सुगंध फैला चुका था क्योंकि आज नंदिनी को पता चला था की अब वो एक मां बनने वाली है। राहुल और नंदिनी, दोनो ईश्वर का धन्यवाद करते हैं।

