साईं बाबा से जुड़े मेरे अनुभव
साईं बाबा से जुड़े मेरे अनुभव
शिरडी के साईं बाबा को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं। उनकी लीला तो अपरंपार है। उनके भक्त उन्हें साईं नाथ, साईं बाबा, देवा, सदगुरु इत्यादि नामों से पुकारते है। शिरडी के अहो भाग्य, जो उसे साईं बाबा का सानिध्य प्राप्त हुआ।
बचपन में जब, बहुत से धारावाहिक टेलीविजन में देखा करते थे, तब साईं बाबा के जीवन पर आधारित धारावाहिक भी देखा करती थी। बचपन से साईं बाबा के जीवन से काफ़ी प्रभावित थी मैं। उनकी छवि मेरे मानस पटल पर अंकित हो चुकी थी, मगर बच्चे तो अक्सर खेल- खेल में ईश्वर का नाम लेते हैं, अपने सपने भगवान से साझा करते हैं, और बार- बार ईश्वर से कामना करते हैं कि उनकी प्रार्थना भी सुन ली जाए। मैं भी कुछ ऐसी ही थी।
बहरावीं कक्षा में पहुंची, तो मेरी एक सहपाठी ने मुझे सत्य साईं बाबा की उदी ला कर दी। मैंने उदी ली, पर उस वक्त मैं प्रभु को ज्यादा याद नहीं करती थी। उस वक्त ईश्वर से यही कामना करती थी, कि मुझे छात्रवृति प्राप्त हो, और अच्छे अंकों के साथ बहरावीं भी पास हो जाए।
भगवान ने मेरी सुन ली और मैं अपनी कक्षा में अव्वल स्थान पर रही। ज़िंदगी में पहली बार मेरे साथ ऐसा अनुभव रहा। मगर सच कहूं तो उस वक्त मैं साईं बाबा को ज्यादा याद नहीं करती थी, मगर अकसर शिव मंदिर जाया करती थी। मैं ये निश्चित रूप से कह सकती हूं कि मेहनत मेरी थी मगर रहमत खुदा की थी। इतने अच्छे अंक प्राप्त करने के उपरांत, ग्रेजुएशन के पहले वर्ष में मुझे CSCA सेक्रेटरी के रूप में कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ। ग्रेजुएट होने पर, मैं अपने कॉलेज में प्रथम स्थान पर रही और छात्रवृति के रूप में मुझे हाल ही में लैपटॉप से पुरुस्कृत किया गया। मेरी कक्षा में विज्ञान संकाय में केवल चार- पांच बच्चे ही इस छात्रवृति के लिए योग्यता प्राप्त कर सके थे, जो की उनके वार्षिक परिणाम पर आधारित था।
ग्रेजुएट होने के उपरांत मेरे स्वास्थ्य में उतार चढ़ाव आए। हाल ये हो गया कि मैं अपने कार्य पर अच्छे से ध्यान नहीं दे पा रही थी। मन बहुत अशांत रहने लगा। तभी साईं बाबा ने मुझे अपने श्री चरणों में स्थान दिया।
एक बार फिर वो धारावाहिक मेरी आंखों के समक्ष आया, जो मैंने कभी बचपन में यूं ही देख लिया था। मगर इस बार मेरा मन मुझे साईं बाबा से जोड़ना चाह रहा था।
मैंने प्रभु पर विश्वास करना प्रारंभ कर दिया। साईं बाबा मेरे जीवन का हिस्सा कब बन गए , मुझे स्वयं भी पता नहीं चल पाया। बस इतना याद है कि उस वक्त मैं ज़िंदगी के बहुत बुरे क्षणों से गुजर रही थी। आखिर साईं चरणों के प्रेम की पात्रता मुझे प्राप्त हुई।
मैं साईं नाथ की आरती में उपस्थित होने लगी, लेकिन केवल ऑनलाइन। मैं अभी तक शिरडी पहुंचने का सौभाग्य तो नहीं पा सकी हूं, मगर साईं नाथ का प्रेम मुझे उनके बहुत करीब ले आया। उनके सानिध्य में रहकर, मैंने आंतरिक शांति की प्राप्ति की।
साईं नाथ स्वयं मेरे स्वप्न में आए। उनकी आलौकिक मुस्कान देखकर मैं तर गई। मेरी बहुत इच्छा थी कि मैं शिरडी जा कर साईं बाबा का आशीर्वाद प्राप्त कर सकूं। मगर इन दिनों ये संभव न था। यकायक मैंने इंटरनेट पर देखा कि साईं बाबा के शिरडी से दूर रहने वाले भक्तों के लिए एक संस्था, साईं बाबा की उदी को उन तक मुफ्त पहुंचा रही है। मैंने उस संस्था के तय नियमों के अनुसार अपना नाम , पता उनके फॉर्म में भर दिया। अप्लाई करने के एक महीने बाद, पोस्ट ऑफिस द्वारा मुझे एक पार्सल प्राप्त हुआ, जिसमें साईं बाबा की एक मनमोहक तस्वीर के साथ साईं बाबा की उदी प्राप्त हुई। मेरे मन को कितना हर्ष प्राप्त हुआ, मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती। मुझे ऐसा लगा मानों, साईं नाथ स्वयं शिरडी से मेरे पास पहुंच गए हों। मैंने उसी दिन से साईं सच्चरित्र पढ़ना आरम्भ किया। तीन - चार दिनों में साईं बाबा की कृपा से इस पावन ग्रंथ का पठन में पूर्ण कर पाई। साईं बाबा की उदी प्रतिदिन पानी में मिलाकर पीने से मैंने अपने स्वास्थ्य में लाभ पाया है।
साईं बाबा के श्री चरणों में स्थान प्राप्त करने से मानसिक शांति का संग पाया है मैंने।
मेरे शब्दों पर आप सभी आंख मूंद के भरोसा करें, ऐसा करने को मैं कदापि नहीं कह रही। आप एक बार साईं सच्चरित्र पढ़ेंगे, आप स्वयं साईं बाबा को जान पाएंगे।
मेरी बातें आपको झूठ भी लग सकती हैं, मगर साईं सच्चरित्र में साईं बाबा के असंख्य भक्तों का उनसे जुड़े अनुभवों का वर्णन है, उन अनुभवों को झुटलाया नहीं जा सकता।
साईं बाबा ने अपना सम्पूर्ण जीवन दूसरों के उद्धार करने में समर्पित कर दिया।
इस छोटे से अध्याय को पढ़ने पर जिसके मन में साईं बाबा के प्रति श्रद्धा का भाव जागा हो, उन जनों से केवल इतना कहना चाहूंगी,
कि साईं नाथ के चरणों की प्रीति हमें उसी समय प्राप्त होती है, जब साईं बाबा चाहते हैं। उनकी इच्छा के बिना हम कभी भी उनके श्री चरणों का सौभाग्य नहीं प्राप्त कर पाएंगे। हो सकता है, अब मेरे मध्यम से साईं बाबा आपको अपने से जोड़ना चाहते हों , अगर ऐसा हुआ तो निश्चित रूप से ये आपके पूर्व जन्मो के शुभ कर्मों का फल होगा। ये मैं नहीं अपितु साईं सच्चरित्र साफ शब्दों में कहता है।
साईं बाबा ने संपूर्ण जीवन में श्रद्धा और सबुरी का संदेश दिया है, और बताया है कि ईश्वर समस्त संसार में कई रूपों में विद्यमान हैं, मगर ईश्वर एक ही है। प्रभु पर विश्वास रखें, सब कुछ ठीक होगा।
इसी के साथ आप सभी पाठकों से विदा लेती हूं। ॐ साईं राम।