हिमाचल में महाभारत के साक्ष्य और लोक- कथाएँ
हिमाचल में महाभारत के साक्ष्य और लोक- कथाएँ
हिमाचल प्रदेश की छोटी काशी के नाम से जाना जाने वाला मंडी की करसोग घाटी की भूमि पर मेरा जन्म हुआ है।
हिमाचल प्रदेश के कुछ स्थानों में पांडवों के दिखाई देने की बातें लगभग यहाँ के हर बच्चे ने अपनी दादी- नानी से सुनी होंगी। मेरा लगाव मेरी माँ से अधिक होने के कारण मैने ये कहानी अपनी माँ से सुनीं।
माँ बताती है, सदियों पहले जब महाभारत का विशाल धर्म युद्ध कुरुक्षेत्र की धरोहर पर हुआ, तो उसने संपूर्ण विश्व में एक अमिट छाप छोड़ दी। माँ बताती हैं कि उन्होंने भी ये अपने बुज़ुर्गों से सुना है कि जब पांडवों की माता कुंती का स्वर्ग- गमन हुआ, तब पांडवों ने निश्चय किया कि हम अपनी माता को मुखाग्नि देने के लिए ऐसा स्थान खोजेंगे, जहाँ पहले कभी भी अग्नि प्रज्ज्वालीत न की गयी हो। कहा जाता है कि तब से लेकर आज तक पांडव अपनी माता कुंती के शव को अपने काँधे पर लेकर विचरण कर रहे है। कुछ लोग कहते हैं कि रात्रि के गहन अंधकार में कुछ लोगों ने पांडवों को अपनी माता की चिता लिए विचरण करते देखा, ऐसा कुछ लोग मानते हैं। खैर हमारे लिए ये कथाएँ उतनी ही सत्य हैं जितनी महाभारत की कथा।
मेरा जन्म स्थान अपने नाम में ही अपनी कहानी बयां करता है। कहा जाता है कि पूर्व में करसोग घाटी का नाम करशोग हुआ करता था, जो दो अक्षर कर शोग के मिलने से बना था। कहा जाता है कि यहाँ बकासुर नाम का एक राक्षस रहा करता था, जो प्रत्येक दिवस एक इन्सान की बलि लिया करता था। गाँव वाले नित दिन भारी हृदय के साथ अपनी जान बचाने के लिए अपना बच्चा उस राक्षस को दिया करते थे, जिसके चलते नित दिन यहाँ शोक हुआ करता था। इसी कारण यहाँ का नाम करशोग हुआ करता था, जो बदलते समय के साथ करसोग हो गया। कहा जाता है कि एक दिन माता कुंती पांडवों के साथ जब करशोग पहुंची तो उन्होंने देखा की एक स्त्री तरह- तरह के अनेकों पकवान बना रही हैं।
उन्होंने उस स्त्री से इतने पकवान बनाने का कारण पूछा। तो उस स्त्री ने माता कुंती को बकासुर राक्षस के संदर्भ में बताया। तब माता कुंती ने भीम को बकासुर का वध करने का आदेश दिया। भीम ने बकासुर का वध कर करशोग को शोक से सदा के लिए मुक्त किया। बकासुर का शरीर पत्थर में परिवर्तित हो गया। आज भी ये पत्थर करसोग के अल्याड मन्दिर में स्थित है। इस पत्थर पर पैर रखना मना है। कहा जाता है कि अगर कोई इस पत्थर पर पैर रखेगा तो बकासुर राक्षस फ़िर से जीवंत हो हाहाकार मचा देगा।
ऐसी ही अनेक लोक कथाएँ हिमाचल की धरा में समाहित है। अनेक देवों का निवास स्थान होने के कारण हिमाचल को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है।
धन्यवाद।
