काश.....!
काश.....!
ये जो काश होता है न, इसमें न जाने जिंदगी की कितनी अनोखी हसरतें छिपी होती हैं। कई बार ये काश पछतावे को समेटता फिरता है और कई बार ऐसे ख़्वाब की तामिरी चाहता है जो कभी हकीकत की पोशाक नहीं पहनते।
हम सबसे बेहतरीन रूप से खुद की जिंदगी को बयां कर सकते है। एक लेखक के लिए अपनी जिंदगी से ज्यादा खूबसूरत शायद कोई कहानी हो भी नहीं सकती, क्योंकि अपनी जिंदगी की कहानी लिखते वक्त उसे शब्द चुनने की कोई जरूरत नहीं होती। मन के भाव एक - एक करके पन्नों पे सज जाते हैं।
मेरी जिंदगी में काश कुछ हसरतों को समेटे है। कभी सोचती हूं कि काश
एक बार मौका मिले तो कुछ समय पीछे जाकर उन गलतियों को सुधार सकूं, जो जाने अंजाने में मुझसे हुई।
कुछ लोगों को अपने जीवन का हिस्सा का बनने दूं।
थोड़ी और मेहनत कर के अपने अधूरे ख्वाब पूरे करूं।
किसी से कुछ बुरा कहा हो तो शब्द अपनी ज़ुबान में रोक लूं।
कुछ अनचाहे रिश्तों को बनने से पहले ही तोड़ दूं।
कई मर्तबा किसी को जवाब दे सकूं।
काश............!
इस फेहरिस्त को बनाने बैठूं तो सारा दिन भी कम पड़ जाए। क्योंकि काश इंसान के जीवन का कभी न तृप्त होने वाला भाव है।