क्या शैलजा ही थी शिव के शब्दों की गंध ? क्या शैलजा ही थी शिव के शब्दों की गंध ?
पहले वाले को भी कुछ उम्मीद बंधी थी, लेकिन दूसरे वाले का निराश चेहरा उससे देखा न गया। पहले वाले को भी कुछ उम्मीद बंधी थी, लेकिन दूसरे वाले का निराश चेहरा उससे देखा न ...
कज़ाक लोककथा अनुवाद: आ. चारुमति रामदास कज़ाक लोककथा अनुवाद: आ. चारुमति रामदास